Saundarya Bodh aur Hindi Navgeet (सौन्दर्यबोध और हिन्दी नवगीत)
₹213.00
Author | Dr. Madhvendraprasad Pandey |
Publisher | Vishwavidyalay Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2001 |
ISBN | 81-7124-280-4 |
Pages | 187 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VVP0046 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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CompareDescription
सौन्दर्यबोध और हिन्दी नवगीत (Saundarya Bodh aur Hindi Navgeet) किसी साहित्य के सौन्दर्यबोध के आरेखन का तात्पर्य होता है, उस साहित्य के सामाजिक दायित्व एवं सांस्कृतिक बोध की पड़ताल। ऐसे समय में, जब ‘अर्थ के लय’ की गलतफ़हमी उत्पन्न कर कविता को नारेबाजी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा था तथा गद्यात्मक सपाटबयानी को अभिव्यक्ति की सहजता से जोड़कर देखा जा रहा था, नवगीत ग्राम्य-चेतना की मिठास के साथ नगरीय जीवन के विसंगत यथार्थों एवं मखौल बन रही आदमीयत को स्वर देने की कोशिश कर रहा था। इस तरह लय की सुरक्षा के साथ आधुनिक जीवन की विषमताओं को आत्मसात् करता हुआ नवगीत कविता के नव-सौन्दर्य का साक्षी बना। ‘सौन्दर्यबोध और हिन्दी नवगीत’ के माध्यम से नवगीत को साहित्य से खारिज कर देने की साजिश को नकारते हुए नवगीत के विविध पक्षों को विस्तार से उभारने की कोशिश की गयी है जिससे हिन्दी कविता का व्यापक फलक स्पष्ट हो सके।
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