Grih Pravesh Paddhati (गृह प्रवेश पद्धति)
₹45.00
Author | Shri Dhar Shastri |
Publisher | Shastri Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2021 |
ISBN | - |
Pages | 108 |
Cover | Paper Back |
Size | 17 x 0.5 x 11 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SP0021 |
Other | Dispach in 1-3 days |
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CompareDescription
गृह प्रवेश पद्धति (Grih Pravesh Paddhati) गृह प्रवेश-वास्तु शान्ति के लिए अनेक पद्धतियाँ उपलब्ध हैं, किन्तु इन पद्धतियों में इतनी उलझनें तथा अन्तर हैं, जिससे सामान्य पण्डितों को कठिनाइयाँ हो सकती हैं, यथा; मास्टर खेलाड़ी लाल, वाराणसी से प्रकाशित पण्डित वायुनन्दन मिश्र की गृह प्रवेश-वास्तु शान्ति प्रयोग पद्धति में गौरी-गणेश-कलश-नवग्रह-मातृकापीठ-नांदीश्राद्ध-आचार्यवरण तथा वास्तु पूजन ही लिखा है। जबकि खेमराज श्रीकृष्णदास वेंकटेश्वर प्रेस से प्रकाशित पण्डित रामचन्द्र गौड़ की वास्तु शान्ति प्रयोग में सर्वतोभद्र-लक्ष्मीनारायण पूजन ६४ योगिनी-क्षेत्रपाल-मरुद्गण पूजन भी करने की विधि है, पण्डित वायुनन्दन मिश्र ने अपनी उक्त पुस्तक में “आसनोपस्थानेषु परोक्षणम् ” आदि नहीं लिखा है। जबकि अन्य सभी पद्धतियों में तथा पारस्कर गृह्य सूत्र में यह विधि दी गई है।
पण्डित रामचन्द्र गौड़ ने अपनी उक्त पद्धति में नैऋत्यकोण में ८१ खाने का वास्तु पीठ स्थापित करने को लिखा है, जबकि अन्य सभी पद्धतियों में हवन वेदी के पूर्व नवग्रह पीठ के दक्षिण वास्तु पीठ बनाने को लिखा है। प्रायः सभी पद्धतियों में कृकलास स्वरूप वास्तु पुरुष बनाने को लिखा है जो पूजन के बाद आकाश पद गढ़े में गाड़ा जाता है, अमर कोष में कृकलास को गिरिगिट कहा जाता है, किन्तु विश्वकर्मा प्रकाश में वास्तु पुरुष का स्वरूप सर्पाकार लिखा है। सभी उपलब्ध पद्धतियों-विश्वकर्माप्रकाश, पारस्करगृह्य सूत्र आदि को आधार मानकर यह पुस्तक तैयार की है। प्रयत्न है, पुस्तक प्रामाणिक रहे।
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