Hartalika Teej Vratodhyapan Vidhi (हरतालिका तीज व्रतोद्यापन विधि)
₹30.00
Author | Shri Dhar Shastri |
Publisher | Shastri Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2019 |
ISBN | - |
Pages | 112 |
Cover | Paper Back |
Size | 17 x 0.5 x 11 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SP0036 |
Other | Dispach in 1-3 days |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
हरतालिका तीज व्रतोद्यापन विधि (Hartalika Teej Vratodhyapan Vidhi) भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को हरतालिका व्रत होता है। कम से कम बारह वर्ष तक अनवरत (विना नागा) व्रत कर लेने पर ही किसी व्रत का उद्यापन होता है। इस तीज का व्रत सौभाग्य की वृद्धि के लिए किया जाता है। अतः जब अशक्त-असमर्थ हो जाय। व्रत करने का सामर्थ्य नहीं रह जाय। तभी उद्यापन करना चाहिए।
पृथिवी-गौर-गणेश-कलश-षोडशमातृका-नवग्रह का पूजन करना चाहिए। कुछ लोग ६४ योगिनी व क्षेत्रपाल आदि चारों वेदी बनाते हैं। पुण्याहवाचन-नान्दी श्राद्ध आदि भी करते हैं। देशाचार जानना चाहिए। एक काठ की नई चौकी के चारों पावा में ‘छड़ी बांधकर ऊपर लाल टून का चंदवा (चाँदनी) बांध दे। केला का पत्ता बाँध कर मंडप बना दे।
चौकी के ऊपर सफेद कपड़ा बिछा दे। इस कपड़े पर लिंगतो भद्र बनायें। व्रतराज ग्रन्थ के अनुसार पांच वर्णों से पद्म (अष्टदल कमल) बनाना चाहिए। इस कमल के ऊपर सफेद चावल रख दें। इसी चावल पर ताम्रकलश रखा जाता है। इसी ताम्र कलश पर उमा-महेश्वर की स्वर्ण रजत प्रतिमा रखी जाती है। ताम्र कलश के पास चांदी का नन्दी रखा जाता है। चौकी के समीप एक पीढ़ा पर ऐपन से अल्पना बना कर मिट्टी के शंकर-पार्वती रख लें। जैसे प्रतिवर्ष किया जाता था। शाम को पूजन करे। पृथिवी-गौर-गणेश-कलश-षोडश मातृका नवग्रह आदि का पूजन करे। मिट्टी के गौरी-शंकर की पूजा करे फिर शंकर-पार्वती-नन्दी की प्राणप्रतिष्ठा-पूजा करें। हरतालिका तीज की कथा सुनें। जागरण करें।
प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में स्नान ध्यान कर उत्तर पूजा करे। हवन करे। शय्यादान-वायन दान आदि करे। ब्राह्मण दम्पति (पति-पत्नी) को तथा १६ ब्राह्मणों को भोजन कराने को लिखा है। इसी तरह प्रदोष व्रत में १२ ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
Reviews
There are no reviews yet.