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Hasta Sanjivan (हस्त संजीवन)

80.00

Author Dr. Suresh Chandra Mishr
Publisher Ranjan Publication
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2017
ISBN 81-88230-68-5
Pages 160
Cover Paper Back
Size 14 x 1 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code RP00022
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Description

हस्त संजीवन (Hasta Sanjivan) प्रस्तुत ग्रन्थ पुरानी भारतीय अंग-विद्याओं में प्रतिनिधि, सामुद्रिक विद्या का एक अनूठा ग्रन्थ है। इसके रचयिता महोपाध्याय श्री मेघविजय गणि ने इसमें गागर में सागर भरने का प्रशस्य प्रयास किया है ! वास्तव में जैन विद्वानों ने भारतीय विद्याओं की अनेक शाखाओं को अपनी प्रतिमा से सफल किया है। ज्योतिष तथा सामुद्रिक विद्या पर तो इनके अनेक ग्रन्य काफी प्रसिद्धि पा चुके हैं।

प्रस्तुत ग्रन्य भी सामुद्रिक विद्या के प्राचीन मौलिक ग्रन्थों का अगुआ है। इसका रचना-काल सम्भवतः सत्रहवीं शताब्दी ईसवी का अन्तिम भाग है। इसका आधार यह है कि मूल लेखक ने अपने भाष्य में एकाध जो उदाहरण दिए हैं वे विक्रम संवत १७३७ के हैं। अतः इसकी प्राचीनता निर्विवाद है। इस ग्रन्य के महत्त्व का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि इस विषय पर उपलब्ध ग्रन्थों के विद्वान लेखकों ने इसके सिद्धान्तों तथा विचार पद्धतियों को अपनी लेखनी से प्रमाणित किया है।

इसकी विचारधारा सौ फीसदी भारतीय विवेचन इसकी विशेषता है। हाथ देखकर तथा अनेक अनूठे विषयों का पत्र बनाना, हाथ से ही वर्ष कुण्डली, मास कुण्डली, तिथि कुण्डली तथा दिनदशा तक की सूक्ष्म जानकारी तथा हाथ छूकर व देखकर भी मूक प्रश्नों के निर्णय का सूक्ष्म विवेचन आदि विषय इस ग्रन्य के आकर्षण हैं। इसकी विस्तृत व्याख्या तथा उदाहरणादि से संलित एक सर्वांगपूर्ण संस्करण अद्यावधि उपलब्ध नहीं था। इस ग्रन्यरत्न का प्रकाशन हिन्दी के पाठकों का हृदय भी आलोकित करे, इस इच्छा से प्रेरित होकर यह कार्य किया गया है। इसकी मौलिकता की रक्षा हो तथा सभी विषय सरल से सरल ढंग से सामान्य सामुद्रिक जिज्ञासु समझ सकें, यही हमारा उद्देश्य है।

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