Hindi Sahitya Kosh Set Of 2 Vols. (हिन्दी साहित्य कोश 2 भागो में)
₹1,105.00
Author | Dr. Dhirendra Varma, Dr. Brijeshvar |
Publisher | Gyanmandal |
Language | Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | - |
Pages | 1526 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GM0001 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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हिन्दी साहित्य कोश 2 भागो में (Hindi Sahitya Kosh Set Of 2 Vols.) गत पचास वर्षोंमें हिन्दी साहित्य के अध्ययन, अध्यापन तथा अनुशीलनकी परिधियाँ बहुत व्यापक होती गयी हैं। आलोचना, अनुसन्धान और इतिहास – साहित्यानुशीलनके सभी क्षेत्रोंमें अनेक विद्वानोंके अथक परिश्रमसे जो उपलब्धियाँ हुई हैं, उनसे हमारे अध्ययनमें यथेष्ट सम्पन्नता, गहराई और विस्तार आया है। परन्तु साहित्यके इस अध्ययनसे सम्बन्धित अबतक कोई ऐसा सन्दर्भ-अन्थ नहीं था, जो अध्येताओंके लिए उन उपरुब्धियोंका तात्कालिक उपयोग करनेमें सहायक हो सकता। समृद्ध भाषाओंके साहित्योंमें ऐसे दर्जनों छोटे-बड़े कोश हैं, जिनमें साहित्यका सम्पूर्ण उपयोगी ज्ञान तात्कालिक रूपमें उपलब्ध रहता है। हिन्दी साहित्यके इसी अभावकी पूर्तिके लिए लगभग तीन वर्ष पहले बनायी गयी योजना आज ‘हिन्दी साहित्य कोश’के रूपमें साकार हो रही है।
साहित्य कोशमें जिन विषयोंको सम्मिलित करना आवश्यक है, उनकी सूची बहुत विस्तृत हो सकती है, परन्तु व्यावहारिकताका दृष्टिकोण ध्यानमें रखते हुए प्रस्तुत ‘हिन्दी साहित्य कोश’ के विषय-विस्तारको सीमित रखा गया है। हमारे विचारमें सबसे पहले एक ऐसे साहित्य कोशकी आवश्यकता थी, जिसमें हिन्दी साहित्यकी प्राचीन और नवीन पारिभाषिक शब्दावलीका प्रामाणिक अर्थ, साहित्यिक गतिविधिको संचा लित और प्रभाषित करनेवाले विविध वाधे और प्रवृत्तियोंका ऐतिहासिक और शास्त्रीय परिचय, शिष्ट तथा लोक-साहित्यके विविध रूपोंका विवेचन, साहित्यिक भाषा तथा बोलियोंका भाषावैज्ञानिक परिचय तथा हिन्दी भाषा और साहित्यसे सम्बन्धित अन्यान्य भाषाओं और उनके साहित्योंका सामान्य ज्ञान प्राप्त हो सके। अतः इस कोशमें इमने केवल निम्नलिखित विषयोंकी पारिभाषिक और विशिष्ट शब्दावलीको सम्मिलित किया है-
(१) प्राचीन साहित्यशास्त्र – रस, ध्वनि, अलंकार, रीति, छन्द आदि।
(२) पाश्चात्य साहित्यशास्त्र – प्राचीन तथा नवीन।
(३) साहित्यके विविध वाद तथा प्रवृत्तियाँ-प्राचीन तथा आधुनिक।
(४) साहित्यके विविध रूप – प्राचीन तथा नवीन, प्राच्य तथा पाश्चात्य।
(५) हिन्दी साहित्यके इतिहारुके विभिन्न काल, युग तथा धाराएँ।
(६) साहित्यिक सन्दर्भमें प्रयुक्त दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, राजनीतिक तथा समाजशास्त्रीय सिद्धान्त।
(७) लोकसाहित्य – शास्त्रीय विषय तथा प्रचलित रूप।
(८) आधुनिक भारतीय भाषाओं तथा संस्कृत, फारसी और अंग्रेजीके साहित्योंका इतिहास।
(९) हिन्दी माषा, उसकी जनपदीय बोलियों, प्राचीन तथा आधुनिक भारतीय आर्य-भाषाओं और सम्बद्ध आर्य-भाषाओंका परिचयात्मक विवरण।
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