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Kadambari (कादम्बरी कथामुख प्रकरण)

212.00

Author Tarinish Jha
Publisher Ramnarayanlal Vijaykumar
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2022
ISBN -
Pages 412
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0447
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Description

कादम्बरी कथामुख प्रकरण (Kadambari) कादम्बरी गन्धर्वराज की पुत्री है। उसको उद्देश्य करके रची गई कथा कादम्बरी कहलाती है। क्योंकि ‘कादम्बरीमधिकृत्य कृता कथा’ इस अर्थ में कादम्बरी शब्द से ‘अधिकृत्य कृते ग्रन्थे’ सूत्र से अण प्रत्यय होता है। उस अण् का ‘लुबाख्यायिकाभ्यो बहुलम्’ वार्तिक से लोप हो जाने पर ‘लुपि युक्तवद्व्यक्तिवचने’ सूत्र से प्रकृतिवत् लिंग और वचन करके कादम्बरी शब्द की सिद्धि की जाती है। अथवा कादम्बरी मदिरा को कहते हैं। उसके समान आह्लादक एवम् मादक होने के कारण इस कथा का नाम कादम्बरी रखा गया। कादम्बरी के उत्तरार्ध में भूषणभट्ट ने कहा भी है- ‘कादम्बरीरसभरेण समस्त एव मत्तो न किञ्चिदपि चेतयते जनोऽयम्।’ मदिरावाची कादम्बरी शब्द की सिद्धि इस प्रकार होती है- कुत्सितम् अम्बरं यस्य स कदम्बरः अर्थात् मलिनवासाः नीलाम्बरः बलभद्रः। ‘नीलाम्बरो रौहिणेयः’ इत्यमरः। कदम्बरस्य प्रिया इयं कादम्बरी कदम्बर+अण् ‘तस्येदम्’ इति सूत्रेण, ततो ङीप् । अथवा कदम्बस्य पुष्पाणि कदम्बानि, तत्र ज्ञातं (तेभ्यो जातं वा) इति कदम्ब अण्= कादम्बम्। कदम्बजातं रसम् मघु इत्यर्थः। लक्षणावृत्त्या मधुशब्दस्य मत्तता इत्यर्थो भवति। कादम्बं मत्ततां राति ददातीति कादम्ब/रा+क ‘आतोऽनुपसर्गे कः’ इत्यनेन = कादम्बरम्, ततः स्त्रियां ‘षिद्‌गौरादिभ्यश्च’ इति सूत्रेण ङीष् = कादम्बरी।

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