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Karma Mimansha Ko Parthasarthi Mishra Ka Yogadan (कर्म मीमांसा को पार्थसारथी मिश्र का योगदान)

315.00

Author Shri Ramesh Bhardwaj
Publisher Vidyanidhi Prakashan, Delhi
Language Hindi
Edition 2007
ISBN 81-86700722
Pages 230
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VN0050
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Description

कर्म मीमांसा को पार्थसारथी मिश्र का योगदान (Karma Mimansha Ko Parthasarthi Mishra Ka Yogadan) भाट्ट-मीमांसा के यशोवर्धक आचार्य पार्थसारथि मिश्र (1050 ई०) ने शास्त्रदीपिका (मीमांसासूत्रों- द्वादशलक्षणी पर अधिकरणप्रस्थान-आधारित), न्यायरत्नमाला (अधिकरणों में घटक सिद्धान्तों = न्यायरत्नों का संग्रह;, न्यायरत्नाकर (श्लोकवार्त्तिक पर टीकाग्रन्थ) तथा तन्त्ररत्न (शाबरभाष्य के अन्तिम नौ अध्यायों पर रचित “टुप्टीका” पर व्याख्या)- इन चार ग्रन्थों के प्रणयन द्वारा न केवल प्राभाकरमत के खण्डनपूर्वक आचार्य कुमारित भट्ट की वेदार्थमीमांसा की वैदुष्यपूर्ण प्रस्थापना की, अपितु बौद्ध, न्याय, वैशेषिक, वैयाकरण आदि दार्शनिकों की विचारणादृष्टि के खण्डनपुरस्सर भारतीय दार्शनिक जगत को नवीन उद्भावनाओं से समृद्धि भी प्रदान की है।

पार्थसारथि मिश्र के योगदान से सुधी पाठकों को परिचित कराने के लिएए कर्ममीमांसा के प्रमुख विषयों “स्वाध्यायोऽध्येतव्यः ” विधिवाक्यविमर्श, प्रामाण्यवाद, विधिविमर्श, व्याप्तिस्वरूप, नित्य- काम्यकर्मविप्रतिपत्ति, विनियोगविधि, प्रयोगविधि, अधिकारविमर्श तथा अतिदेशस्वरूप- अन्वेषण (मीमांसादर्शन के सप्तमाध्याय से द्वादशाध्याय तक विचारित उत्तरषट्क के मुख्य विषयों के अध्ययन), को प्रस्तुत ग्रन्थ के नौ अध्यायों को संकलित किया गया है।

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