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Shlokavarttika Me Pratyaksha Praman (श्लोकवार्त्तिक में प्रत्यक्ष प्रमाण)

180.00

Author Pnita Sharma
Publisher Vidyanidhi Prakashan, Delhi
Language Hindi
Edition 2001
ISBN 81-86700285
Pages 147
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VN0052
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Description

श्लोकवार्त्तिक में प्रत्यक्ष प्रमाण (Shlokavarttika Me Pratyaksha Praman) श्लोकवार्त्तिक में प्रत्यक्ष प्रमाण’, छह संक्षिप्त अध्यायों में विभाजित, मीमांसा दर्शन के मूर्धन्य दार्शनिक व प्रकाण्ड विद्वान् कुमारिल भट्ट के, प्रत्यक्ष प्रमाण विषयक मत को सरल रूप में प्रतिपादित करने का श्लाघनीय प्रयास है। प्रथम अध्याय में प्रमा और प्रमाण विषय पर सामान्य विचार तथा द्वितीय अध्याय में श्लोकवार्त्तिक के प्रत्यक्ष प्रमाण की पदशः व्याख्या है। तृतीय अध्याय का वर्ण्य विषय प्रत्यक्ष ज्ञान की प्रक्रिया है। अन्य दर्शन सम्प्रदायों के मतों का खण्डन करते हुए चतुर्थ अध्याय में प्रत्यक्ष के भेदों का विवेचन है। पञ्चम अध्याय मीमांसा के मत में योगज प्रत्यक्ष का निषेध करता है तथा षष्ठ व अन्तिम अध्याय में अभिव्यक्ति में प्रत्यक्ष प्रमाण, शब्दाध्यास की समस्या तथा शब्द ज्ञान की महत्ता प्रतिपादित की गयी है। प्रस्तुत लघु प्रबन्ध आने वाले शोधार्थियों के लिए मीमांसा दर्शन की ज्ञानमीमांसा को उद्घाटित करने के लिए प्रकाश किरण के समान है।

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