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Kashi Darshan (काशी दर्शन)

50.00

Author -
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Sanskrit
Edition -
ISBN -
Pages 256
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0154
Other Code - 2301

 

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Description

काशी दर्शन (Kashi Darshan)

“अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची ह्यवन्तिका।

पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः”॥

उपर्युक्त सात पुरियाँ मोक्षदायिका इसलिये कही गयी हैं कि इनमें मृत्यु होनेसे प्राणीमात्रकी मुक्ति निश्चित हो जाती है। परन्तु ऐसी भी मान्यता है कि इनमें भी काशी विशेष है, कारण जहाँ काशीमें मरनेसे प्राणी सीधे मुक्त होता है, वहीं अन्य पुरियोंमें मरणसे काशीमें जन्म होता है, फिर काशीमें मरण होनेपर मुक्ति प्राप्त होती है-

अन्यानि मुक्तिक्षेत्राणि काशीप्राप्तिकराणि च। काशीं प्राप्याऽपि मुच्येत नान्यथा तीर्थकोटिभिः ॥

काशीकी महिमा अपार है। यहाँ कण-कणमें शिव हैं, वस्तुतः पंचक्रोशात्मक सम्पूर्ण काशीपुरी ही ज्योतिर्लिंगस्वरूप है। काशीकी यात्रा एवं दर्शन सौभाग्यसे होता है। जिनपर भगवान् विश्वनाथजीकी महती कृपा होती है, उन्हींको वे अपने काशीरूप अंकमें स्थान देते हैं। यहाँ यमका शासन नहीं चलता तथा कर्म गुणित अनुपातमें फलीभूत होते हैं, अतः यहाँ धर्माचरण ही करना चाहिये। यद्यपि यहाँ शिवकृपासे धर्मानुमोदित सभी पुरुषार्थ सिद्ध होते हैं, फिर भी प्राणीमात्रके लिये मुक्तिका सत्र अनवरत चलते रहनेके कारण काशी प्रधानरूपसे मोक्षपुरी ही है। मुक्तिदायिनी काशीपुरीका अप्रतिम माहात्म्य आर्षग्रन्थों; विशेषकर पुराणोंमें प्राप्त होता है, इनमें भी स्कन्दपुराणोक्त काशीखण्ड, ब्रह्मवैवर्तपुराणोक्त काशीरहस्य एवं काशीकेदार-माहात्म्य, पद्मपुराणोक्त काशी-माहात्म्य एवं लिंगपुराणोक्त काशीमाहात्म्यमें यह विशेष विस्तारसे मिलता है।

इतिहास-पुराण ग्रन्थोंके अतिरिक्त धर्मशास्त्रीय निबन्ध ग्रन्थोंमें भी काशीतत्त्व और मुक्ति विषयपर विस्तृत साहित्यका सृजन हो चुका है, जिनमें श्रीसुरेश्वराचार्यकृत काशीमृतिमोक्षविचार, पं० श्रीलक्ष्मीधरभट्ट- विरचित ‘कृत्यकल्पतरु’ का तीर्थविवेचनकाण्ड, धर्मशास्त्रकार पं० श्रीनारायणभट्टकृत त्रिस्थलीसेतु, श्रीसदाशिवप्रणीत काशीस्थितिचन्द्रिका इत्यादि प्रमुख हैं। इस पुस्तकको सम्पादित करते समय काशीसम्बन्धी उपर्युक्त प्राचीन ग्रन्थोंके साथ-साथ कुछ महत्त्वपूर्ण अर्वाचीन ग्रन्थोंकी भी सहायता ली गयी, जिनमें पं० श्रीकुबेरनाथजी सुकुलकृत ‘वाराणसी- वैभव’ एवं पं० श्रीनारायणपतिजी शर्माकृत ‘काशी-यात्रा’ प्रमुख हैं। इसके लिये हम उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।

बहुत समयसे काशीपर एक पुस्तक प्रकाशित करनेकी माँग प्रेमी पाठकोंद्वारा की जा रही थी। इधर माननीय प्रधानमन्त्री श्रीनरेन्द्रजी मोदीद्वारा संकल्पित श्रीकाशीविश्वनाथधाम-परिक्षेत्र नवीन विस्तार (नवनिर्मित कॉरीडोर) के भव्य निर्माण एवं प्रथम चरणका लोकार्पण २०२१ ई० में होनेके बाद काशीविषयक पुस्तकोंको प्रकाशित करनेके लिये पाठकोंके विशेष आग्रह प्राप्त हो रहे हैं। इस सन्दर्भमें गीताप्रेसद्वारा स्कन्दपुराणोक्त ‘काशीखण्ड’ नामक एक बृहद् ग्रन्थ सानुवाद प्रकाशित करनेकी प्रक्रिया तो चल ही रही है, साथ ही बहुसंख्यक तीर्थयात्रियों एवं प्रेमी पाठकोंके आग्रहको ध्यानमें रखते हुए ‘काशी-दर्शन’ नामक यह पुस्तक प्रकाशित की जा रही है। प्रस्तुत लघुपुस्तिकामें मुख्यरूपसे जहाँ एक ओर काशीके शास्त्रीय महत्त्व एवं ऐतिहासिक विवरणोंको देनेका प्रयास किया गया है, वहीं साथमें काशीके प्रमुख तीर्थों, देवायतनों एवं दर्शनीय स्थानोंका संक्षिप्त स्थूल परिचय भी दिया गया है।

पुस्तक अनेक सुन्दर रंगीन चित्रोंसे युक्त है। पुस्तकमें काशीप्रेमी शोधार्थियों और विद्वानोंके लिये कुछ विशेष उपयोगी गम्भीर लेखोंको भी स्थान दिया गया है तथा अन्तमें यहाँके सन्तों, भक्तों एवं तीर्थयात्रियोंके बीच परम्परागत रूपसे प्रचलित काशीविषयक अनेक प्रसिद्ध स्तोत्र एवं स्तुतियों आदिका संकलन भी किया गया है। आशा है, इस सुरुचिपूर्ण उपयोगी संकलनसे श्रद्धालु सुधी पाठक विशेष लाभान्वित होंगे।”

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