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Khel Patra Karita (खेल पत्रकारिता)

127.00

Author Prof. Anil Kumar Upadhyay
Publisher Bharati Prakashan
Language Hindi
Edition 2018
ISBN 93-80550-54-1
Pages 136
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code BP0097
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Description

खेल पत्रकारिता (Khel Patra Karita) मानव संस्कृति में खेल का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। भारतीय दार्शनिक तो जीवन को ही ‘खेल’ मानते हैं। खेल के मैदान में व्यक्ति केवल स्वास्थ्य ही नहीं बनाता है, मनुष्य भी बनता है। खेल जीवन में उत्साह के साथ इंसान को अपनी सीमाओं से आगे ले जाने के लिए तैयार होने का एक तरीका भी है। परन्तु खेल को अक्सर मनोरंजन तक ही सीमित करके भारतीय परिवार में देखा जाता रहा है। यद्यपि अब खेल को लेकर संजीदगी बढ़ रही है। वस्तुतः खेल को जिन कारणों से हम देखते हैं वे इन सबसे आगे के हैं। खेल हैरत अंगेज ढंग से उद्देश्यहीन होते हैं। वे खुद साधन भी होते हैं और साध्य भी। उत्तर आधुनिकतावादियों की नजर में खेल वह किताब है जिसमें हम अपने उल्लास को पढ़ सकते हैं। सच तो यह है कि खेल के बिना जीवन नीरस है। साथ ही एक सच यह भी है कि आज खेलों का व्यावसायीकरण तीव्र गति से हो रहा है। खेलों में ग्लैमर को बढ़ावा मिल रहा है। वहीं सभी खेलों को बराबर का हक भी नहीं मिल रहा। मीडिया में अब खेल प्रतियोगिताओं की प्रस्तुती बढ़ती जा रही है। यह कार्य इतना ज्यादा आम जन को प्रभावित कर रहा है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में ‘खेल पत्रकारिता’ एक अलग विशिष्ट विधा के रूप में स्थापित हो चुका है। खेल को केन्द्रित कर अब कई पत्र-पत्रिकाएँ, टेलीविजन चैनल के साथ ही वेबसाइट भी लोकप्रिय हैं।

ज्ञान की नूतन शाखा के रूप में जनसंचार विषय बीसवीं शताब्दी की देन है। पत्रकारिता एवं जनसंचार विषय उन चुनिन्दा विषयों में शामिल हैं जिनका पाठ्यक्रम बहुत तेजी से बदलता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इस जरूरत को देखते हुए जनसंचार के पाठ्यक्रम में अनेक परिवर्तन किये हैं। अब जनसंचार विषय ने काफी वृहद आकार ले लिया है। खेल पत्रकारिता भी अब जनसंचार पाठ्यक्रम का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, परन्तु खेल पत्रकारिता पर पुस्तकें अत्यंत कम है और विद्यार्थियों की जरूरतों को पूरा भी नहीं कर पा रही।

इस पुस्तक में खेल की ऐतिहासिकता, इसका मनोविज्ञान, खेल समाचार, खेल शीर्षक, सम्पादन, कमेन्ट्री सहित अर्थशास्त्र, वैश्वीकरण का खेलों पर प्रभाव, खेल सिद्धान्त इत्यादि विषयों का समायोजन यथा सम्भव किया गया है। हमारे अनुरोध पर खेल पत्रकारिता से जुड़े पत्रकार, शिक्षक, विशेषज्ञ सहित शोध कार्य से जुड़े लोगों ने इस पुस्तक हेतु लेखन कार्य किया है।

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