Lakshmi Vasana Dipawali Pujan (लक्ष्मी वसना दीपावली पूजन) – 439
₹25.00
Author | Somnath Bajpeyi |
Publisher | Rupesh Thakur Prasad Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2012 |
ISBN | 439-542-2392540 |
Pages | 32 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0175 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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लक्ष्मी वसना दीपावली पूजन (Lakshmi Vasana Dipawali Pujan) दीपावली पर शास्त्रीय मान्यता के अनुसार प्रत्येक आराधना व उपासना में आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक तीन रूपों का समुचित व्यवहार होता है। इस पर्व पर सोने व चाँदी के सिक्कों के रूप में आधिभौतिक लक्ष्मी का आधिदैविक लक्ष्मी से सम्बन्ध मानते हुए पूजन किया जाता है। इस दिन प्रमुख रूप से लक्ष्मी तथा गणेश की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक अमावस्या को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् राम चौदह (१४) वर्ष का वनवास पूर्णकर रावण का वध करने के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने भगवान् राम के लौटने की खुशी में दीप जलाकर महोत्सव मनाया था। इसी दिन उज्जैन सम्राट् विक्रमादित्य का राजतिलक भी हुआ था। विक्रमी संवत् का शुभारम्भ इसी दिन से हुआ। अतः एक प्रकार से यह ‘नववर्ष’ का प्रथम दिन भी है, आज ही के दिन व्यापारी अपना बहीखाता बदलते हैं तथा लाभ-हानि का ब्यौरा तैयार करते हैं।
गणेश-लक्ष्मी की मृण्मयी (मिट्टी की) या चाँदी की प्रतिमा बाजार से खरीदकर उनका विधिवत् पूजन-अर्चन किया जाता है। धन के देव कुबेर, चित्रगुप्त, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती आदि का पूजन भी किया जाता है। इस पावन पर्व पर दीपकों की पूजा का विशेष महत्त्व है।
पूजन कैसे करें – दो थालियों में छह-छह चौमुखे दीपक प्रज्वलित कर रखें, २६ छोटे दीपक भी प्रज्वलित कर लें। व्यापारीगण दुकान की गद्दी पर पाटे या अन्य सुन्दर आसन पर गणेश की नूतन प्रतिमा के दाहिने महालक्ष्मी की नूतन प्रतिमा स्थापित करें। गौरी-गणेश की प्रतिष्ठाकर षोडशोपचार पूजन कर दें, तदनन्तर नवग्रह, षोडशमातृका तथा कलश का स्थापन-पूजन कर प्रधान पूजन में भगवती महालक्ष्मी का पूजन करें। पूजन से पूर्व नूतन प्रतिमा तथा द्रव्य लक्ष्मी (सोने-चाँदी के सिक्के या आभूषण) की प्रतिष्ठा करें।
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