Shivratri Vrat Katha (शिवरात्रि व्रत कथा) – 383
₹37.00
Author | Acharya Pt. Shivdatt Mishr |
Publisher | Rupesh Thakur Prasad Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2024 |
ISBN | 383-542-2392542 |
Pages | 32 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0176 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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शिवरात्रि व्रत कथा (Shivratri Vrat Katha) महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव के आशीर्वाद को प्राप्त करने का दिन है। इस दिन व्रत रखते हैं और शिव परिवार की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान महा शिवरात्रि व्रत कथा को सुनना फलदायी होता है। एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर से पूछा कि आपकी कृपा पाने के लिए कौन सा सबसे सरल व्रत और पूजा है। तब भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को शिवरात्रि व्रत की महिमा, व्रत और पूजा विधि बताई। उसके साथ ही उन्होंने महाशिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनाई।
महाशिवरात्रि व्रत कथा
शिव पुराण की कथा के अनुसार, एक गांव में एक शिकारी था, जो पशुओं को शिकार करके अपना घर परिवार चलाता था। वह गांव के ही एक साहूकार का कर्जदार था। वह काफी प्रयासों के बाद भी कर्ज से मुक्त नहीं हो पा रहा था। एक दिन क्रोधित होकर साहूकार ने उसे शिवमठ में बंदी बना लिया। उस दिन शिवरात्रि थी।
शिकारी उस दिन शिवरात्रि की कथा को सुना। शाम के समय में उसे साहूकार के सामने पेश किया गया तो शिकारी ने वचन दिया कि अगले दिन वह सभी कर्ज को चुकाकर मुक्त हो जाएगा। तब उसे साहूकार ने छोड़ दिया। शिकारी वहां से जंगल में गया और शिकार की तलाश करने लगा। वह एक तालाब के किनारे पहुंचा। वहां पर वह एक बेल के पेड़ पर अपना ठिकाना बनाने लगा। उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था, जो बेलपत्रों से ढंका हुआ था। उसे इस बात की जानकारी न थी। बेल वृक्ष की टहनियों को तोड़कर वह नीचे फेंकता गया और बेलपत्र उस शिवलिंग पर गिरते गए। वह भूख प्यास व्याकुल था। अनजाने में उससे शिव पूजा हो गई। दोपहर तक वह भूखा ही रहा। रात में एक गर्भवती हिरण तालाब में पानी पीने आई। तभी शिकारी उसे मारने के लिए धनुष-बाण तैयार कर लिया। उस हिरण ने कहा कि वह बच्चे को जन्म देने वाली है, तुम एक साथ दो हत्या न करो। बच्चे को जन्म देकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी, तब तुम शिकार कर लेना। यह सुनकर शिकारी ने उसे जाने दिया।
कुछ देर बाद एक और हिरण आई तो शिकारी उसका शिकार करने को तैयार हो गया। तभी उस हिरण ने कहा कि वह अभी ऋतु से मुक्त हुई है, वह अपने पति की तलाश कर रही है क्योंकि वह काम के वशीभूत है। वह जल्द ही पति से मिलने के बाद शिकार के लिए उपस्थित हो जाएगी। शिकारी ने उसे भी छोड़ दिया। देर रात एक हिरण अपने बच्चों के साथ उस तालाब के पास आई। शिकार एक साथ कई शिकार देखकर खुश हो गया। वह शिकार करने के लिए तैयार हो गया, तभी उस हिरण ने कहा कि वे अपने बच्चों के साथ इनके पिता की तलाश कर रही है, जैसे ही वो मिल जाएंगे तो वह शिकार के लिए आ जाएगी। इस बार शिकारी उन्हें छोड़ना नहीं चाहता था, लेकिन उस हिरण ने शिकारी को उसके बच्चो का हवाला दिया तो उसने उसे जाने दिया।
अब शिकारी बेल वृक्ष पर बैठकर बेलपत्र तोड़कर नीचे फेंकते जा रहा था। अब सुबह होने ही वाली थी। तभी वहां एक हिरण आया। शिकार उसे मारने के लिए तैयार था, लेकिन हिरण ने कहा कि इससे पहले तीन हिरण और उनके बच्चों को तुमने मारा है, तो उसे भी मार दो क्योंकि उनका वियोग सहन नहीं होगा। यदि उनको जीवन दान दिया है तो उसे भी छोड़ दो, परिवार से मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा। रातभर उपवास, रात्रि जागरण और अनजाने में बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा के प्रभाव से शिकारी दयालु हो गया था। उसने हिरण को भी जाने दिया। उसके मन में भक्ति की भावना प्रकट हो गई और वह पुराने कर्मों को सोचकर पश्चाताप करने लगा। तभी उसने देखा कि हिरण का पूरा परिवार शिकार के लिए उसके पास आ गया। यह देखकर वह और करुणामय हो गया और रोने लगा। उस शिकारी ने हिरण परिवार को जीवन दान दे दिया और स्वयं हिंसा को छोड़कर दया के मार्ग पर चलने लगा। शिव कृपा से वह शिकारी तथा हिरण का परिवार मोक्ष को प्राप्त हुआ।
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