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Mandan Granthavali (मण्डन ग्रन्थावली)

1,705.00

Author Pankaj Kumar Mishra
Publisher Vidyanidhi Prakashan, Delhi
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2021
ISBN 978-9385539947
Pages 588
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VN0008
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Description

मण्डन ग्रन्थावली (Mandan Granthavali) भारतीय बौद्धिक परम्परा क्रान्तद्रष्टाओं की साक्षात्कृत अनुभूति की परिणति है। ऋग्वेद से प्रसूत यह परम्परा अद्यावधि प्रवहणशीला है। यद्यपि नाम एवं प्रतिह्य से ऐसे क्रान्तद्रष्टाओं की संख्या अनन्त है। पुनरपि, कतिपय ऐसे भी हुए जो स्वयं में एक संस्था बन गये। इन्हीं संस्थारूप कान्तदृष्टाओं में अन्यतम हैं मैथिली- मैथिल-मिथिलामण्डन मण्डन।
मण्छन, जिन्हें लोग आदर से आचार्य मण्डन तथा व्यवहार में मण्डन मित्र नाम से अभिहित करते हैं, सर्वज्ञात थे, विदितवेदितव्य थे, अधीतसवंशात्र थे, नियता थे। इन्होंन राज्य जनक, याज्ञवल्कय प्रभूति मैचिलमनीषियों के चिन्तन को आगे बढ़ाया। कदायित् में प्रथम आचार्य थे जिन्होंने समकालीन जगत् के प्रायः समस्त विवेच्य अथ च हेय विषयों पर अपनी रोमुषी का विनिवेश किया।
मण्डनमित्र जैसे मनीष की मनीषा का मान प्रमाण में प्राप्त इनकी सर्वनाओं से ही सम्भव है। और सर्जनाएँ भी ऐसी जिन्होंने रहस्यों के द्वार को अनावृत किया तथा भारतीय ज्ञानपरम्परा को सहज बनाया। तदनुसार परम्परा में इनकी छः रचनाएँ प्राप्त होती हैं। इनमें मीमांसाऽनुक्रमणिका, भावनाविवेक तथा विधिविवेक मीमांसादर्शन से सम्बद्ध ग्रन्थ हैं। स्फोटसिद्धि नामक ग्रन्थ भाषाविज्ञान तथा व्याकरण के सिद्धान्तों पर विमर्श करता है। विश्वमविवेक नामक एक ग्रन्थ, जो प्रमाणमीमांसा से सम्बद्ध है, भारतीयदर्शन में व्याप्त भ्रान्ति पर विमर्श करता है। लोकप्रसिद्ध ब्रह्मसिद्धि शंकर से पूर्व के अद्वैत का प्रतिपादन करता है।”

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