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Maran Patra (मारणपात्र)

510.00

Author Arun Kumar Sharma
Publisher Astha Prakashan
Language Hindi
Edition 2022
ISBN 978-81906796-3-3
Pages 571
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code AP0005
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Description

मारणपात्र (Maran Patra) पुस्तक का नाम ‘मारणपात्र’ क्यों ? यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। वास्तव में तंत्र की भाषा में मनुष्य की खोपड़ी को ‘महापात्र’ कहते हैं। तन्त्र के षट्कर्म साधन में ‘मारणप्रयोग’ मुख्य है। इसकी तांत्रिक क्रिया में जब महापात्र द्वारा मदिरा का प्रयोग होता है तो उसे ‘कारणपात्र’ कहते हैं और जब कारणपात्र का उपयोग मारण कार्य के लिए होता है तो उसे ‘मारणपात्र’ कहते हैं।प्रस्तुत पुस्तक में एक ऐसी कथा है जिसमें ‘मारणपात्र’ का उपयोग हुआ है इसलिए पुस्तक का नाम ‘मारणपात्र’ रखा गया। वैसे पुस्तक योग, तन्त्र, दर्शन, अध्यात्म से संबंधित प्रासंगिक विषयों का अ‌द्भुत संग्रह है, जिसे कथाशैली के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

पुस्तक में कहीं भी और किसी भी घटना में कल्पना का सहारा नहीं लिया गया है। लेखक ने जो कुछ देखा, सुना, अनुभव किया और स्वयं चिन्तन-मनन किया उन्हीं सबको अपनी प्राञ्जल भाषा में लिपिबद्ध किया है। वास्तव में मारणपात्र लेखक के पचास वर्षों के खोजी जीवन का परिणाम है। पुस्तक के प्रथम संस्करण में यत्र-तत्र प्रूफ सम्बन्धी गलतियाँ अवश्य रह गयी थी, जिन्हें दूसरे संस्करण में सुधारने के अतिरिक्त पुस्तक को और अधिक संवर्धित और परिवर्धित करने का प्रयास किया गया है। जिसके फलस्वरूप उसकी उपयोगिता और अधिक बढ गयी है। अब आपके सामने संशोधित/परिवर्धिक संस्करण प्रस्तुत है। अधिक पृष्ठ और अन्य सामग्री संलग्न होने के फलस्वरूप पुस्तक का मूल्य थोड़ा बढ़ा दिया गया है आशा है पाठकगण सहयोग देंगे।

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