Muhurta Chintamani (मुहूर्तचिन्तामणि:)
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Author | Pandit Harishankar Pathak |
Publisher | Bharatiya Vidya Sansthan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st Edition |
ISBN | - |
Pages | 198 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | BVS0200 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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मुहूर्तचिन्तामणि: (Muhurta Chintamani) मूहत्तं शास्त्र पंचाङ्ग (तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण ), तथा ग्रहों के भोगांश और लग्न के आधार पर विशिष्ट कार्य सम्पादन हेतू उचित लाभकर समय निर्धारित करना मुहूर्त-शास्त्र का हो उत्तरदायित्व रहा है। पूर्वाचार्यों ने अपने सूक्ष्म अध्ययन, अनुशीलन, आदि के द्वारा उपर्युक्त उपकरणों के आधार पर विशिष्ठ कार्यों के निर्वावरूप से समापन के उद्देश्य से विशिष्ट समय या मूहों को निर्धारित करने की प्रक्रिया का वर्णन किया है। मुण्डनादि, धोडश संस्कारों, तालाब, देवालय, गृह आदि का निर्माण काल, दैनिक जोवन की अन्य व्यापारों के लिए तथा यात्रा अनुष्ठयाग आदि सम्पन्न करने के लिये शुभ मुहूर्त आदि का निर्धारण इस शास्त्र के आधार पर सम्पन्न होता है। अतः ज्योतिषी के लिये इस शास्त्र का अध्ययन परमावश्यक है।
प्रश्नशास्त्र में प्रश्नकाल के तात्कालिक लग्न एवं ग्रहस्थिति के आधार पर पूछे गये विभिन्न प्रश्नों का समुचित उत्तर देना ही प्रश्नशास्त्र का विषय है। संहिता भाग में ग्रहचार आदि के फलों के अतिरिक्त वायसविरुत, शिवारुत, मृगचेष्ठिव आदि नथा शकुनों का वर्णन है।
प्रस्तुत ग्रंथ, मुहूर्त चिन्तामणि, जैसा कि नाम हो से स्पष्ट है ज्योतिष शास्त्र का एक अनुपम मुहूर्ती ग्रंथ है। अनन्त दैवज्ञ के पुत्र और नीलकण्ठ के अनुज श्रीराम दैवज्ञ ने शक सं० १५२२ में अपने काशी-प्रवास के समय इसकी रचना की थी। इस ग्रंथ में शुभाशुभ, नक्षत्र संक्रान्ति, गोचर, संस्कार, विवाह, वधू प्रवेश, द्विरागमन, अग्न्याधन, राज्याभिषेक, यात्रा, वास्तु और गृहशान्ति ये कुल १३ प्रकरण हैं। इस ग्रंथ को अनेक विद्वानों ने हिन्दी और संस्कृत दोनों ही भाषाओं में टोकायें की है। इन टीकाओं की दुल्हता के कारण ही आज इस ग्रंथ की अनेक टोकायें देखने को मिलती हैं। गुरुपरम्परा और कुलपरम्परा से प्राप्त और वर्तमान टोकाओं द्वारा प्रतिपादित ग्रंथ के स्वरुपों में किंचिद् कहीं वैमिन्य और वर्तमान टीकाओं की दुरूहता के कारण ही इस ग्रंथ के सम्पादन को प्रेरणा मिली है। इसके साथ आवश्यकता के आधार पर गणितीय उदाहरण यथा स्थान इसमें दिये गये हैं। विषयवस्तु को सुबोध और सरल बनाना ही मेरा एक मात्र उद्देश्य है। इसमें कहाँ तक मुझे सफलता मिली है इसके निर्णायक तो आप ही हैं। आशा है छात्र वर्ग के साथ हो जनसामान्य भी इसके अध्ययन से लाभाविन्त होगा।
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