Mul Shanti Paddhati (मूलशान्ति पद्धति)
₹48.00
Author | Pt. Paramhans Mishr |
Publisher | Shri Vishnu Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 80 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SVP0012 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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मूलशान्ति पद्धति (Mul Shanti Paddhati) ज्योतिषियों का मानना है कि अगर बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हो तब एक महीने के अंदर जब भी वही नक्षत्र लौटकर आए तो उस दिन गंडमूल नक्षत्र की शांति करा लेनी चाहिए अन्यथा इसका अशुभ परिणाम प्राप्त होता है।
इससे पूर्व मूल शांति पूजन विधि प्रकरण के प्रथम भाग में आपने पंचाङ्ग नक्षत्र ज्ञान पढ़ा। उसके बाद आपने द्वितीय भाग में गण्ड-मूल दोष परिचय पढ़ा। अब इसी क्रम में आप मूल शांति पूजन कराने की सम्पूर्ण विधि पढ़ेंगे-
अथ मूल शांति पूजन विधि प्रारम्भ-
सर्वप्रथम आचार्य पुजन स्थल में सुंदर चौंक बनवाले, चौंक के ऊपर एक चौंकी (पीढ़ा) रखायें और पीला चाँवल (अक्षत), फुल, दूध, कलशा आदि पुजन सामाग्री मंगवालें । अब एक पत्तल में गौरी-गणेश, नवग्रह बनायें व कलश रखें, चौंकी में मूल-नक्षत्र की सोने की मूर्ति (इनके अभाव में गोपालजी की मूर्ति) रखें व चौंकी के चारों कोणों में चार मिट्टी की धान्य कलश रख सभी में दीप जलवाएँ। अब सत्ताईस (२७) छिद्रवाली मिट्टी की कलश (करसी) लेकर उसमें सप्तधान्य (सात प्रकार के अन्न), सप्तमृतिका (सात जगह की मिट्टी), सर्वोषधी या शतावर, पंचरत्न, सत्ताईस (२७) जगह का जल, पंचगव्य (गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, घी), सत्ताईस (२७) वृक्ष की पत्तियाँ डालें। अब यजमान को सपत्नीक पुजन स्थल से अलग जगह उत्तर या पूर्व मुख कर बैठावें व मूल दोष वाले बच्चे को किसी मोटे कपड़े से ढककर उसकी माता के गोद में दें।
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