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Natya Shastram (नाट्यशास्त्रम्)

404.00

Author Dr. Sudhakar Malaviya
Publisher Chaukhambha Krishnadas Academy
Language Sanskrit & Hindi
Edition -
ISBN -
Pages 800
Cover Hard Cover
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0681
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Description

नाट्यशास्त्रम् (Natya Shastram) नाट्यशास्त्र एक विशाल ग्रन्थ है और यह नाट्यविषयक एक विश्वकोष है। रूपक को देखने पर जो सात्त्विक आनन्द प्राप्त होता है, उसका इसमें पर्याप्त विश्लेषण तथा विस्तार है। इस ग्रन्थ में नाट्यशास्त्र तथा रङ्गमन्च के निर्माण पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। यहाँ रूपक के लिए उपयुक्त छन्द अर्थात् आङ्गिक, वाचिक सात्त्विक तथा आहार्य अभिनय, नाटक के प्रकार, उनके संगठन रचना तथा शैली आदि विषयों का भी विस्तृत विवेचन किया गया है। नाटक में प्रयुक्त होने वाले गीत एवं वाद्यों के विषय में भी पर्याप्त सूचनाएं हैं। संगीत एवं छन्दों के परस्परा सम्मिश्रण की भी यहाँ सूक्ष्म चर्चा है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ नाटक के उदात्त एवं उच्चतम लक्ष्य पर बल दिया गया है। अश्लील व्यवहार, दृश्य तथा भाषा का निषेध किया गया है। अभिनेताओं के सामने उच्च आध्यात्मिक आदर्श रखा गया है और बताया गया है कि यदि वे भक्तिपूर्वक अपने आपको कला के प्रति अपित कर देते हैं और उसमें दक्षता प्राप्त कर लेते हैं तो यह मानव समाज की बहुत बड़ी सेवा होगी और उन्हें महान् पुण्य प्राप्त होगा ।

इस प्रकार के महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ नाट्यशास्त्र के प्रस्तुत संस्करण का लक्ष्य सम्पूर्ण नाठपशास्त्र को उसकी श्लोकार्षानुक्रमणी के साथ एक जिल्द में विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत करना ही है जो इदं प्रथमतया सम्पादित है। नाटथशास्त्र के मूल को समझने के लिए यहाँ संस्कृत में टिप्पण्यात्मक ठीका भी संक्षेप में दी गई है। यत्र तत्र संगीत रत्नाकर से अनेक उद्धृतियों से ग्रन्य को समझाने का प्रयास इस टिप्पण्यात्मक संस्कृत ठीका में किया गया है। परवर्ती ग्रन्थों में अग्निपुराण के नाटथविषयक विचारों का आकलन तो बिद्वानों ने किया है किन्तु विष्णुबमौलय पुराण को उपेक्षित कर दिया गया सा प्रतीत होता है। हमादी नाटथशास्त्रीय परम्परा में विष्णुधर्मोत्तर पुराण का स्थान अग्निपुराण के नाठ्यविषयक विवेचन से परवर्ती तो बवश्य है किन्तु बहुत उपादेय है। इसलिए भूमिका में विष्णुधर्मोत्तर पुराण के नाठपणास्त्र सम्बन्धी अध्यायों का विवेचन भी प्रस्तुत किया गया है।

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