Pali Vyakaran (पालि व्याकरण)
₹51.00
Author | Bikshu Dharma Rakshit |
Publisher | Gyanmandal Limited |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 1976 |
ISBN | - |
Pages | 187 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GM0010 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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CompareDescription
पालि व्याकरण (Pali Vyakaran) पालि भाषा से सम्बद्ध व्याकरण-ग्रन्थों की संख्या पचास से कम नहीं है। पालिभाषा के पठन-पाठन की सुविधा के लिये समय-समय पर विद्वानों द्वारा इन ग्रन्थों की रचनाएँ हुई हैं। यद्यपि पालिभाषा की उत्पत्ति के समय या बुद्धकाल में रचित किसी भी पालि-व्याकरण ग्रन्थ के होने का ज्ञान हमें नहीं है। उस समय कोई व्याकरण ग्रन्थ रहा भी हो तो भी अब वह प्राप्त नहीं है और न किसी साधन से उसका परिचय ही उपलब्ध है। पालि में लिखे गये जितने भी व्याकरण ग्रन्थ हैं, वे सभी सातवीं शताब्दी ईस्वी के बाद के ही हैं। ये भी तीन परम्पराओं में विभक्त हैं। ये परम्पराएँ पालि-व्याकरणों के पठन-पाठन की अपनी परम्पराएँ हैं। ये परम्पराएँ हैं (१) कच्चान, (२) मोग्गल्लान और (३) सद्दनीति।
यह ग्रन्थ इस दृष्टि से लिखा गया है कि हाईस्कूल से लेकर एम. ए., आचार्य तक के छात्र इससे लाभ उठा सकें और उन्हें पालि व्याकरण का पूर्ण ज्ञान हो जाय। इसे ‘मोग्गल्लान व्याकरण’ तथा उसके परिवार-ग्रन्थ ‘पदसाधन’ के आधार पर तैयार किया गया है। हिन्दी में लिखे गये अम्य ग्रन्थों से भी सहायता की गयी है।
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