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Pawan Vijay Svaroday (पवनविजयस्वरोदयः)

32.00

Author S.N. Khandelwal
Publisher Bharatiya Vidya Prakashan
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2000
ISBN -
Pages 77
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0316
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Description

पवनविजयस्वरोदयः (Pawan Vijay Svaroday) पवनविजयस्वरोदय स्वरशास्त्र का अप्रतिम ग्रंथ है। हिन्दी भाषा में इसका प्रकाशन दीर्घकाल से नहीं हो सका था। सम्प्रति बंगभाषा में इसकी अनेक मुद्रित प्रतियाँ दृष्टिगोचर होती हैं। गुजरात में भी इसका प्रचलन है।

स्वरशास्त्र मूलतः श्वास-प्रक्रिया पर आधारित शास्त्र है। श्वास-प्रक्रिया जीवन की परम चरम स्थिति से उद्भूत होती है और स्पन्दनात्मक झंकृति से सूक्ष्मशरीरस्थ समस्त चक्रों को प्रान्दोलित करती रहती है। इसका अत्यन्त गम्भीर रहस्य तथा प्रभाव प्राक्कालीन विद्वानों ने अपनी अन्तर्दृष्टि से अनुभूत कर जनसामान्य के हितार्थ उसके अत्यन्त प्रभावकारी रूप का वर्णन स्वरशास्त्र के माध्यम से किया है। यहाँ यह भी ज्ञातव्य है कि स्वरशास्त्र का सन्धान पाने के लिये श्वासप्रक्रिया के अति सूक्ष्म रूप स्पन्दनात्मक स्थिति (VIBRATION) का भी सन्धान प्राप्त करना आवश्यक है। यह स्थिति अन्तःकुम्भक में प्राप्त होती है। इसलिये यह शास्त्र भी अनुशीलन-योग्य प्रतीत होता है, जब यथार्थ सद्गुरु का शक्तिपात शिष्य की प्रसुप्त चेतना को उन्मिषित करने के लिये उसके सहस्रदल को क्षणार्ध के लिये अपने शिव स्पर्श से आप्यायित करे। अन्यथा यह शास्त्र मात्र श्वास-प्रश्वास का स्पर्श अनुभव करके कुछ स्थूल अभिज्ञता देने के अतिरिक्त अपने यथार्थ स्वरूप को गोपित ही रख लेता है।

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