Pingal Krit Chhand Sutram (पिंगल कृत छन्दः सूत्रम)
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Author | Dr. Kapil Dev Dwivedi, Dr. Shyamlal Singh |
Publisher | Vishwavidyalay Prakashan |
Language | Sanskrit, Hindi & English |
Edition | 3rd edition, 2019 |
ISBN | - |
Pages | 315 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VVP0114 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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पिंगल कृत छन्दः सूत्रम (Pingal Krit Chhand Sutram) वैदिक छन्द-शास्त्र की परम्परा वेदों के प्रकट काल से आरम्भ होती है। आचार्य ङ्क्षपगल से पूर्ववर्ती छन्द-शास्त्र के आचार्यों के दो दर्जन से अधिक नाम तो मिलते हैं किन्तु आचार्य ङ्क्षपगल का \’छन्द-सूत्रम् Ó ही छन्द-शास्त्र की प्राचीनतम उपलब्ध पुस्तक है। जिसका लम्बे समय से पाठ्य-पुस्तक के रूप में प्रयोग हो रहा है। आधुनिकतम खोजों के अनुसार इनके माता-पिता वर्तमान पेशावर जिले में शालातुर ग्राम के निवासी थे। आचार्य ङ्क्षपगल के नाम से प्रसिद्ध ङ्क्षपगल नाग का समय 2850 बी०सी० या इससे पूर्व बताया जाता है।
दसवीं शताब्दी के गणित एवं संस्कृत के आचार्य हलायुध भट्टï की \’मृतसंजीवनीÓ छन्द:सूत्रम् की सबसे लोकप्रिय एवं प्रामाणिक टीका है जिसका प्रयोग भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 1050 वर्षों से हो रहा है। छन्द:सूत्रम् की कतिपय अन्य टीकाएँ भी हैं, किन्तु मृतसंजीवनी अथवा किसी अन्य टीका का हिन्दी अथवा अंग्रेजी रूपान्तरण नहींं हुआ है। वर्तमान पुस्तक में मृतसंजीवनी को आधार बनाते हुए सभी सूत्रोंं का शब्दार्थ देने के साथ हिन्दी व अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है तथा आवश्यकतानुसार उनकी विवेचना की गई है। आचार्य ङ्क्षपगल ने वैदिक गणित का अभिनव प्रयोग अपने छन्द:सूत्रम् में किया है।
इसके आठवें अध्याय में प्रत्ययों के अन्तर्गत छ: प्रकार के गणितीय प्रयोग दिए गए हैं। दो प्रकार की वैदिक द्वि-आधारी समस् ्याएँ, संचय श्रेढी, वॢणक मेरु, मात्रिक मेरु एवं अन्य सम्बन्धित वैदिक गणित की विधाएँ विशेष आकर्षक इसलिए भी हैं कि गणितशास्त्र के आधुनिक इतिहास पर इनका दूरगामी प्रभाव पड़ेगा तथा गणित एवं कम्प्यूटर विज्ञान केअध्येताओं के लिए नूतन सामग्री भी इसमें है। वैदिक एवं लौकिक छन्द-शास्त्र तथा गणित के प्रेमियों, छात्रों, शिक्षकों एवं संगीतकारों के लिए उपयोगी वर्तमान पुस्तक का लाभ सभी वर्ग एवं आयु के अनुशीलनप्रिय व्यक्तियों को मिलेगा। विचारों के इतिहास में छन्द:सूत्रम् एक अद्भुत रचना है जिसका प्रभाव अन्य सांस्कृतिक प्रक्षेत्रों पर पडऩा अवश्यम्भावी है। अस्तु, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के अध्येताओं एवं शोधाॢथयों के लिए भी यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी।
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