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Prasuti Tantra (प्रसूतितंत्र)

676.00

Author Prof. Premvati Tiwari
Publisher Chaukhambha Viswabharati
Language Hindi
Edition 2018
ISBN 978-93-81301-99-9
Pages 910
Cover Paper Back
Size 12 x 2 x 17 (l x w x h)
Weight
Item Code CVB0020
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Description

प्रसूतितंत्र (Prasuti Tantra) प्रसूतितन्त्र-स्वोरोग प्राचीन काल से अष्टाङ्ग के अन्तर्गत कौमारभृत्य के उपजीव्य उपाङ्ग के रूप में विकसित हुआ है। आधुनिक काल में जब आयुर्वेद का पठन-पाठन विषयक्रम से प्रारम्भ हुआ तब इसकी पढ़ाई भी पृथक् विषय के रूप में होने लगी अतः षोडशाङ्ग के अन्तर्गत यह स्वतन्त्र अङ्ग के रूप में समाहित हुआ है। भारतीय चिकित्सा की केन्द्रीय परिषद् ने भी इसको स्वतन्त्र विषय के रूप में स्वीकृत कर इसका पाठ्यक्रम निर्धारित किया है। मानव का जीवन गर्भावस्था, प्रसव तथा प्रसवोत्तर स्थितियों पर निर्भर होता है। स्त्री यदि किसी रोग से ग्रस्त हो तो उसका भी प्रभाव पड़ता है। अतः प्रसूतितन्त्र एवं स्त्रीरोग विज्ञान का सम्यक् अनुशीलन अत्यावश्यक है।

प्रोफेसर डॉ. (कु) प्रेमवती तिवारी प्रसूतितन्त्र एवं स्वीरोग विज्ञान की विशेषज्ञ एवं सुधी मूर्धन्य लेखिका है। इस विषय पर पहले भी उनका बृहदाकार ग्रन्थ दो भागों में प्रकाश में आ चुका है जो विद्वज्जनों द्वारा अभिनन्दित हुआ है। प्रस्तुत ग्रन्थ केन्द्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद् द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित है जो सम्भवकीय छात्रों के लिए अतीव उपयोगी होगा। प्रो. तिवारी के दीर्घकालीन अध्ययन, अध्यापन, अनुसन्धान तथा अनुभव ने उनमें ऐसी प्रौढि भर दी है जिससे वह वीणावादिनी की वेदी पर उत्कृष्ट उपहार अर्पित करने में सक्षम है। उन्हों में से एक यह नवीनतम रचना है जिसके लिए मैं उन्हें साधुवाद देता हूँ। आशा है, इस विषय के अध्यापक एवं छात्र प्रस्तुत कृति को अपनाकर इसके प्रचार-प्रसार में सहयोग करेंगे। प्रकाशक भी ऐसी उत्तम कृति के प्रकाशन के लिए धन्यवाद के पात्र है।

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