Puja Karma Paddhati (पूजाकर्म पद्धति:)
₹64.00
Author | Achary Devnarayan Sharma |
Publisher | Shri Kashi Vishwanath Sansthan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-93-9989-12-4 |
Pages | 64 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0213 |
Other | Dispatched in 3 days |
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पूजाकर्म पद्धति: (Puja Karma Paddhati) गृहस्थ जीवन में प्रायः विविध प्रकार के धार्मिक कृत्य जैसे – देवाराधन, व्रत, अनुष्ठान, यज्ञ, गृहनिर्माण, गृहप्रवेश, विवाहादि संस्कार करने होते हैं अथवा यों कहा जाय ये कर्म सनातन हिन्दू जीवन पद्धति के अभिन्न अंग हैं।
उपर्युक्त समस्त धार्मिक कृत्यों के सम्पादन के साथ ही सामाजिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन का गुरुतर भार गृहस्थ आश्रम में. वहन करना पड़ता है। इसीलिए चारों प्रकार के आश्रमों में गार्हस्थ्य जीवन को सर्वाधिक महत्त्व प्रदान किया गया है। गृहस्थ ही शेष तीनों आश्रमों का पोषक होता है। जैसा कि धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि – जैसे वायु का आश्रय लेकर सभी जीव जीवन धारण करते हैं ठीक वैसे ही गृहस्थ का आश्रम लेकर ही सभी आश्रम संचालित होते हैं-
यथा वायुं समाश्रित्य वर्तन्ते सर्वजन्तवः।
तथा गृहस्थमाश्रित्य वर्तन्ते सर्वआश्रमाः।।
गृहस्थेनैव धार्यन्ते तस्माज्ज्येष्ठाश्रमो गृही।
विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों, महोत्सवों के साथ गृहस्थ जीवन का तादात्म्य सम्बन्ध है। गृहस्थ जीवन में हमें नित्य नैमित्तिक तथा काम्य त्रिविध कर्मों का अनुष्ठान करना पड़ता है। चतुर्विध पुरुषार्थों में धर्म को प्रथम स्नान दिया गया है। धर्म ही हमारे जीवन का प्राण तत्त्व है। इन धार्मिक कृत्यों के द्वारा हमारे जीवन में एक सकारात्मक ऊर्जा, पारस्परिक सहभागिता, भावों और विचारों की पवित्रता एवं आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।
हमारे सनातन हिन्दू धर्म में किसी भी धार्मिक कृत्य के लिए एक विशेष क्रम निर्धारित किया गया है। उदाहरण के लिए किसी भी सामान्य अथवा विशिष्ट धार्मिक आयोजन या पूजन में स्वस्तिवाचन, गौरी गणेश पूजन, कलश स्थापन, पुण्याहवाचन, मातृकापूजन, नवग्रहादि पूजन के बाद ही प्रधान देवता की पूजा की जाती है। प्रस्तुत पुस्तक में इसी क्रम को अपनाकर वैदिक एवं लौकिक मंत्रों के साथ अत्यन्त सरल विधि से हिन्दी व्याख्या के साथ पूजन प्रक्रिया को समझाया गया है। यह पुस्तक कर्मकाण्ड के समस्त पुरोहितों, ब्राह्मणों एवं विद्वत् समुदाय के लिए परम लाभकारी सिद्ध होगा।
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