Purushatva Kaam-Shakti Ke Rog Evam Chikitsa (पुरुषत्व काम-शक्ति के रोग एवं चिकित्सा)
₹120.00
Author | Dr. O. P. Verma |
Publisher | Chowkhamba Orientala |
Language | Hindi |
Edition | 2011 |
ISBN | 978-8176372534 |
Pages | 156 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h ) |
Weight | |
Item Code | CO0193 |
Other | Dispatch in 1-3 Days |
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पुरुषत्व काम-शक्ति के रोग एवं चिकित्सा (Purushatva Kaam-Shakti Ke Rog Evam Chikitsa) “काम” एक पवित्र विषय है। हमारी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में काम संबंधी समस्या या रोग को परिवार के सदस्यों को न बताने की परम्परा-सी चल पड़ी है। काम संबंधी विषयक वार्तालाप एवं समस्याओं का निराकरण नवयुवक एवं अन्य इससे संबंधित विज्ञापन देने वाले तथाकथित चिकित्सकों के यहां खोजते फिरते हैं। वे तथाकथित चिकित्सक उन्हें गुमराह करके उनके अंदर भय व्याप्त कर देते हैं। जिससे वह अत्यधिक घबरा जाते हैं तथा स्वास्थ्य एवं अर्थ दोनों गंवा बैठते हैं। अतः कामशक्ति की न्यूनता, धातु दौर्बल्यता, नपुंसकता एवं सामान्य कमजोरी की समस्याओं के निराकरण हेतु एक पुस्तक लिखने की योजना बनाई गई।
इसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रस्तुत पुस्तक लिखी गई है। इसमें घरेलू प्रयोग से काम शक्ति बढ़ाने के अचूक नुस्खे, काम-शक्ति बढ़ाने वाले पाक एवं अवलेह, शीत ऋतु में काम-शक्ति-वर्द्धक औषधियां, धातु दौर्बल्यता/नपुंसकता परिचय, धातु दौर्बल्यता नपुंसकता नाशक कुछ विशिष्ट योग, एकौषध एवं साधारण प्रयोग (अन्तः एवं बाह्य), अनुभूत एवं परीक्षित प्रयोग (अन्तः एवं बाह्य), प्रमुख पेटेण्ट आयुर्वेदिक एवं एलोपैथिक योगों का संक्षेप में वर्णन दिया गया है।
इसी के साथ-साथ सामान्य कमजोरी परिचय, दुर्बलता नाशक प्रयोग, प्रमुख शास्त्रीय योग, प्रमुख पेटेण्ट आयुर्वेदिक योग एवं प्रमुख एलोपैथिक योगों का भी वर्णन देकर शारीरिक कमजोरी से छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में धातु दौर्बल्यता, नपुंसकता एवं सामान्य कमजोरी को दूर करने के सैकड़ों प्रयोग आदि काल से चले आ रहे हैं एवं इससे संबंधित रोगी ठीक होते आ रहे हैं। आशा है काम संबंधी समस्याओं, रोगों का इस पुस्तक के द्वारा अवश्य निराकरण होगा। प्रस्तुत पुस्तक लिखने में श्री डॉ० गोपालशरण गर्ग द्वारा दिये गये सुझावों के लिए मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।
अन्त में प्रकाशक मै० चौखम्बा ओरियन्टालिया, वाराणसी का भी मैं धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूंगा, जिनके सप्रयास से पुस्तक इतनी शीघ्र पाठकों तक पहुंच पाई है।
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