Raghav Pandaviya (राघव पाण्डवीय)
₹212.00
Author | Pt. Damodar Jha |
Publisher | Chaukhambha Vidya Bhavan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2014 |
ISBN | 978-93-83847-25-9 |
Pages | 415 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0690 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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राघव पाण्डवीय (Raghav Pandaviya) ‘राघवपाण्डवीयम्’ महाकाव्य है। इस में भी राम तथा युधिष्ठिर धीरोदात्त नायक हैं। वीर रस अङ्गी है। यथासंभव अन्य सभी रस अङ्ग हैं। इतिहासोद्भव कथानक हैं। ग्रन्थारम्भ से अन्त तक उद्देश्य-भूत एक ही फल है। ग्रन्यारम्भ में नमस्क्रिया खलों की निन्दा सज्जनों का अभिमुखीकरण आदि सभी उचित उपक्रमों से युक्त है। प्रायः सभी सर्गों में नानावृत्त वाला नियम लागू किया गया है। सर्गों की संख्या आठ से अधिक है। सर्गान्त्र में अग्रिम कार्यक्रम का भी आभास मिल ही जाता है। यद्यपि सन्ध्या- सूर्येन्दु का वर्णन विस्तारपूर्वक नहीं है फिर भी ‘मृगयाशैलतुंबनसागराः’ का वर्णन तो विस्तृतरूप से है ही। इस में वर्षा ऋतु तथा शरद् ऋतु का वर्णन सोन्दर्य का प्रवाह बहाते हुए बृहद रूप में किया गया है। विप्रलम्भशृङ्गार का वर्णन तो है ही; स्थान-स्थान पर सूक्ष्मरूप में संभोगश्शृङ्गार का भी वर्णन है। मुनियों का वर्णन स्वर्ग, नगर तथा मार्गो का वर्णन है। युद्धयात्रा, विजय, विवाह, मन्त्रणा, पुत्रप्राप्ति तथा अभ्युदय आदि विषयों का साङ्गोपाङ्ग वर्णन किया गया है।
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