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Ratnavali Natika (रत्नावलीनाटिका)

59.00

Author Dr. Bal Govind Jha
Publisher Chaukhambha Krishnadas Academy
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2016
ISBN -
Pages 258
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0703
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Description

रत्नावलीनाटिका (Ratnavali Natika) संस्कृतरूपकों की चाकचिक्यपूर्ण रत्नमाला में अन्यतम स्थान पर पिरोवे पये बहुमूल्य रत्न के सदृश महाकवि हर्षदेवप्रणीत “रत्नावली” नाटिका चिरकाल से सस्कृत-साहित्य-रखलोलुपों के विशद चित्ताद्धाद एवं परम परितोष को आश्रयभूत सामग्री रही है। विश्वनाथ एवं धनञ्जय जैसे उद्भट बालङ्कारिक आचार्यों ने अपने-अपने ग्रन्थों में ‘रत्नावली’ से शताधिक उद्धरणों को लेकर तथा उन्हें समाविष्ट कर कविवर हर्षदेव की कीतिकौमुदी का विस्तार करने के साथ-साथ “रत्नावली” की निर्दुष्टता को ही प्रकारान्तर से सथित किया है। यही कारण है कि आज भी भारत के प्राबः सभी विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर (संस्कृत) कक्षा के लिए “रत्नावली” पाठ्य-कुष्य के रूप में निर्धारित है। विश्वविद्यालयीय छात्रों की आवश्यकता एवं अन्य संस्कृतानुराणियों की सुविधा को ध्यान में रखकर हो “रत्नावली” को “कमलेश्वरी” संस्कृत-हिन्दी व्याख्या से सुमण्डित किया गया है। भूमिका-भाग में नाटयालेचना से सम्बन्धित विविध एवं प्रचुर सामग्री समाविष्ट की गई है जो छात्रों के लिए निश्चय ही नितान्त उपयोगी सिद्ध होगी। उपकारकता की दृष्टि के ग्रन्थान्त में जोड़ा गया परिशिष्ट भाग श्री कय लाभप्रद नहीं होगा।

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