Sangrah Shiromani Set of 2 Vols. (संग्रहशिरोमणि: 2 भागो में)
₹365.00
Author | Aacharya Sri Kamalakant Shukla |
Publisher | Sampurnananad Sanskrit Vishwavidyalay |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition |
ISBN | - |
Pages | 1230 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 7 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SSV0018 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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संग्रहशिरोमणि: 2 भागो में (Sangrah Shiromani Set of 2 Vols.) लोकपरलोकसाधक-जन्मकार्यविशेष-मुहूर्त-सर्वसाधारणजननिवासगृहनिर्माण-विधि-हस्तप्रमाण-भू-वृक्षशल्योद्धार-भूम्या-काशलक्षण – काकप्रभृतिपक्षिचेष्टा – शब्द-अण्ड-निलयः श्वान-शृगाल-चेष्टाशब्द-सरी-सृपचेष्टा – अङ्गस्पर्श – बालचेष्टा – कार्य-छिक्कादिशकुनैर्जगतः शुभाशुभ-कलाप-कथन – वृष्टिगर्भजभाविवर्षणसमय – वृक्ष-सस्य – देवमूत्ति-प्रसवाग्नि – विकृतिप्रकृति-जन्यफलपरिपाक – कालज्ञानस्तदुपशम-विधान-तिथि-पर्व – व्रतनिर्णय-सन्निपातव्रत-सन्निपाताशोच – दाहाधिकार- प्रभृति-बहु-विधविहितधर्मशास्त्रीयैकोनपञ्चाशदधिक-शतसंध्याकव्यवस्था – पवित्रपदार्थ – दूषित-पदार्थ-कूपादिजल-वस्त्र-पात्रादिशुद्धि-मृत्यु-लक्षणादिबहुविषयविशिष्टः पुष्पपराग-सञ्चितमाक्षिकसमा सुमधुरः सर्वकालो-पयोगि – लोककल्याणसहायकोऽमृतघट इवालोकनीयोऽयं समुदारैर्महानुभावैरिति।
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