Sankirtan Mimansa aur Varnashram Maryada (संकीर्त्तन मीमांसा एवं वर्णाश्रम मर्यादा)
₹50.00
Author | Swami Sadanand Saraswati |
Publisher | Sri Vedanti Swami, Karpatradham, Kedarghat |
Language | Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 112 |
Cover | Paper Back |
Size | 11 x 1 x 17 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | KJM0018 |
Other | Old and Rare Book |
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CompareDescription
संकीर्त्तन मीमांसा एवं वर्णाश्रम मर्यादा (Sankirtan Mimansa aur Varnashram Maryada) आजकल ‘भगवन्नामसङ्कीर्त्तन’ का बड़ा प्रचार है, यह देश का सौभाग्य है। परनु देखा गया है कि प्रायः इसकी ओंट में लोग वर्णाश्रम मर्यादा का उल्लंघन करके सन्ध्या-वन्दनादि श्रौतस्मार्त कर्म तक छोड़ बैठते हैं। सङ्कीर्त्तन का रहस्य क्या है और वर्णाश्रम-मर्यादा से उसका क्या सम्बन्ध है, इस ओर ध्यान ही नहीं जाता है। फल यह होता है कि जितना लाभ होना चाहिए, नहीं हो पाता। इस निबन्ध में श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य पूज्यपाद धर्मसम्राट् स्वामी हरिहरानन्दसरस्वती श्री करपात्रीजी महाराज ने इसी गूढ़ विषय की शास्त्रीय विवेचना की है। भक्तों की सुविधा के लिए इसका यह संस्करण प्रकाशित किया गया है। आशा है कि सङ्कीर्त्तन-प्रेमी भक्तगण इसे पढ़कर लाभ उठावें।
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