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Sankshipt Homeopathic Parivarik Chikitsa (संक्षिप्त होमियोपैथिक पारिवारिक चिकित्सा)

280.00

Author M. Bhattachrya
Publisher Bharatiya Vidya Prakashan
Language Hindi
Edition 2023
ISBN 978-81-217-0279-9
Pages 340
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0446
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Description

संक्षिप्त होमियोपैथिक पारिवारिक चिकित्सा (Sankshipt Homeopathic Parivarik Chikitsa) इस संस्करण में बहुत से विषय, जैसे-प्रयोजनी दवाओं के प्रधान लक्षण, बाहरी प्रयोग की दवाएँ, आकस्मिक दुर्घटनाएँ, दर्शिका (रेपर्टरी) इत्यादि को भी समावेश किया गया है। इन सब विशेष विषयों के समावेश पुस्तक की पृष्ठ-संख्या के साथ ही कलेवर भी बढ़ गई है।

अच्छी-भली अवस्था में क्विनाइन खाने से जाड़ा, कँपकँपी, गर्मी, पसीना वगैरह मैलेरिया बुखार की तरह लक्षण प्रकट होते हैं और यह भी दिखाई देता है, कि क्विनाइन न खाने पर भी ऐसे लक्षणवाला मैलेरिया ज्वर यदि हो जाये, तो थोड़ी मात्रा में क्विनाइन का सेवन करने से यह बुखार आराम हो जाता है। इसी तरह स्वस्थ शरीर में आर्सेनिक खा लेने पर दस्त, के, प्यास वगैरह लक्षण प्रकट होते हैं। इससे दस्त, के, प्यासवाला हैजा, थोड़ी मात्रा में आर्सेनिक के सेवन करने से अच्छा हो जाता है। स्वस्था- वस्था में ऐकोनाइट सेवन करने पर वदन में दाह, बेचैनी, बुखार वगैरह लक्षण वाले रोग में ऐकोनाइट फायदा करता है अर्थात् स्वस्थ शरीर में ज्यादा मात्रा में कोई दवा खा लेने पर सब लक्षण प्रकट होते हैं, विना दवा खाये, वैसे ही लक्षणवाली बीमारी, उस दवा की थोड़ी मात्रा में सेवन से आराम होने का नाम ही “होमियोपैथिक” या “सदृश-विधान” है।

होमियोपैथिक दवा रोग को क्यों जल्द आराम कर देती है?

प्रकृति का यही नियम है, कि खराब से अच्छा करना; बीमारी को निरोग करना। किसी को बीमारी होने पर उसे आराम करने के लिये प्रकृति जो उपाय करती है, होमियोपैथिक दवाएँ भी उसके विरुद्ध काम न कर, उसकी ही सहायता किया करती है। जरा और डूबकर देखने से ही यह बात साफ-साफ समझ में आ जाती है। रोगी और उसके लक्षण एक ही बात नहीं है, जैसे-सूखी ठण्डी हवा में शरीर को खुला रखने पर (अर्थात् सर्दी लगा लेने पर) शरीर की हालत बदल जाती है, जैसे-सर्दी, प्यास, शरीर का ताप बढ़ना या ज्वर वगैरह हो जाता है।

शरीर की इसी अवस्था का नाम बीमारी या रोग है और सर्दी, प्यास, बुखार वगैरह इस रोग के लक्षणभर है; इससे स्पष्ट मालूम होता है कि सर्दी लगना और बुखार एक ही चीज नहीं है। क्योंकि सर्दी लगने के बाद बुखार पैदा होता है या रोग लक्षण, प्रकट होते हैं अर्थात् बुखार और कुछ नहीं रोग का एक लक्षण-मात्र है, जिसके सहारे प्रकृति-देवी रोगी शरीर को फिर निरोग और स्वस्थ करने की चेष्टा किया करती है और एकोनाइट (पहला अनुच्छेद देखिये) के प्रयोग से प्रकृत का इस चेष्टा में सहायता पहुँचा करती है और अर्थात् बुखार आदि लक्षण जल्द हट जाने के कारण रोगी तुरन्त आराम हो जाता है। अतएव मालूम होता है, कि प्रकृति को जिस काम के करने में अधिक समय लगता है, होमियोपैथिक दवा के सेवन से वही काम और भी जल्द हो जाता है।

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