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Sanskrit Sumati (संस्कृत सुमति:)

892.00

Author Pankaj Kumar Jha
Publisher Chaukhamba Surbharti Prakashan
Language Sanskrit Text and Hindi Translation
Edition 3rd edition, 2023
ISBN 978-81-938049-2-6
Pages 1188
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSP0811
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Description

संस्कृत सुमति: (Sanskrit Sumati) यू.जी.सी नेट परीक्षा वर्ष 1989 से चली आ रही है एवं संस्कृत नेट परीक्षा 25 एवं 73 कोड संख्या के रूप में दो प्रकार से होती है, 25 कोड (संस्कृत एम.ए के लिए 25 कोड) सामान्य संस्कृत के लिए तथा 73 कोड (आचार्य करने वालों के लिए 73 कोड) पारम्परिक संस्कृत विषय की परीक्षा के लिये। यहां ध्यातव्य यह है कि गत वर्षों में 25 कोड से सम्बन्धित कई पुस्तकें लिखी गई हैं परन्तु पारम्परिक संस्कृत विषय से सम्बन्धित कोई भी पुस्तक विद्यार्थी को सन्तुष्ट नहीं कर पाई है और नेट पुस्तकों की संख्या भी अत्यल्प है साथ ही परीक्षा के पानाक्रम के अनुसार एक ही पुस्तक में सभी विषय एकत्र प्राप्त नहीं है जिसके कारण विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के अनुसार विषय सामग्री खोजने में अत्यल्प कष्ट होता है। इस पुस्तक को लिखने का प्रयोजन यही है कि हाल ही में नेट के पालाक्रम में परिवर्तन किया गया है और उसके अनुसार 73 कोड से परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को लाभ हो और उनकी सभी समस्याओं का समाधान इस पुस्तक में मिले। इस पुस्तक का नाम संस्कृत-सुमतिः रखा गया है।

नूतन पाठ्यक्रम में कई विषय ऐसे थे जो स्पष्ट नहीं थे कि यह कहां प्राप्त होंगे जिसे खोजने में कठिनाई हुई जैसे कूष्माण्ड होम, नारद सनत्कुमार संवाद आदि किन्तु आधुनिक अन्तर्जाल तथा कई सज्जनों की बड़ी सहायता मिली। इस पुस्तक में हमने परीक्षा की दृष्टि से सभी विषयों को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। पुस्तक में पाक्ाक्रमानुसार 10 इकाई हैं। प्रथम इकाई (वेद) जो वेद से सम्बन्धित है जिसमें अनेक विद्वानों के व्याख्यानुसार प्रत्येक बिन्दु को स्पष्ट किया गया है। सर्ग विचार जैसे विषयों को पाङाक्रम में जोड़कर एक शोध की दृष्टि भी प्रकट की गई है। साथ ही इस इकाई में वैदिक काल से सम्बन्धित सारे विषय अति सरलतापूर्वक बताए गए है। द्वितीय इकाई (व्याकरण) में पञ्चसन्धि, समास, कारक, आदि प्रदत्त विषयों को सूत्रों की व्याख्या सहित एवं विभिन्न महत्वपूर्ण उदाहरणों द्वारा समझाया गया है। तृतीय इकाई (ज्योतिष) में ज्यौतिष के प्रत्येक बिन्दु को बड़ी सुगमता पूर्वक स्पष्ट किया गया है। पुनः चतुर्थ इकाई (पुराणेतिहास) में सृष्टि की उत्पत्ति की अवधारणा तथा राजतरङ्गिणी के द्वारा कश्मीर के समृद्ध संस्कृत इतिहास को प्रामाणिक रूप से वर्णित किया गया है। इकाई पञ्चम (धर्मशास्त्र) धर्म शास्त्र में आचार, व्यवहार, प्रायश्चित्त, श्राद्ध विमर्श विषयों में सभी धर्म ग्रन्थ मनुस्मृति, याज्ञवत्वक्य स्मृतियों आदि का उल्लेख स्वभाविक ही हुआ है। इकाई यष्ठ (मीमांसा दर्शन) में चयनित विषयों के कारण जैमिनि के सम्पूर्ण अर्थसंग्रह को समझाने का प्रयत्न इस पुस्तक में दिया गया है। इकाई सप्तम (न्याय वैशेषिक) इस इकाई में न्याय एवं वैशेषिक के सिद्धान्तों की भित्रता समझाना परम आवश्यक था। इकाई अष्टम् (वेदान्त) में वेदान्त के सभी सम्प्रदायों एवं उनके सिद्धन्तों को स्पष्ट किया गया है। दर्शन के विषय में सबसे रोचक इकाई नवम् (सर्वदर्शन) रही, कारण इसका यह रहा कि इसमें सभी आस्तिक एवं नास्तिक दर्शन के सिद्धान्तों का प्रतिपादन एवं उल्लेख है जो भारत के आदि काल से वर्तमानिक दार्शनिक विचारधारा को प्रकट करती है। इस पुस्तक की अन्तिम इकाई (साहित्य) जिसमें अलंकार एवं छन्दों के पारम्परिक उदाहरण दिए गए है तथा कई पुस्तकों की सहायता से संस्कृत साहित्य के इतिहास का संकलन किया गया है। प्रत्येक इकाई के अन्त में अभ्यास के लिए कई प्रश्न उत्तर सहित दिए गए है एवं इसके साथ- साथ गत वर्ष के प्रश्न पत्र भी उत्तर सहित दिए गए है इसके उपरान्त प्रत्येक इकाई के विषय में एक-एक पंक्तियों के शोर्ट नोट्स का भी र्निमाण किया गया है जो अवश्य ही परीक्षार्थियों के लिए लाभकारी होगा।

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