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Sapt Gangam Moolpath (सप्तगंगम TGT संस्कृत मूलपाठ) SG- 102
₹140.00
Author | Sarvagya Bhushan |
Publisher | Sanskrit Ganga |
Language | Sanskrit |
Edition | 2nd edition |
ISBN | 978-81-952032-0-8 |
Pages | 184 |
Cover | Paper Back |
Size | 13 x 1 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SG0013 |
Other | SG - 102 |
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सप्तगंगम TGT संस्कृत मूलपाठ (Sapt Gangam Moolpath) प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT) संस्कृत के पाठ्यक्रम में निर्धारित सातों साहित्यिक ग्रन्थों (किरातार्जुनीयम् प्रथमसर्ग, मेघदूतम्, नीतिशतकम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् चतुर्थ अङ्क, उत्तररामचरितम् तृतीय अङ्क, कादम्बरी शुकनासोपदेश, शिवराजविजय प्रथम निःश्वास) के सङ्कलन के साथ-साथ संस्कृतव्याकरण प्रवेशिका – बाबूराम सक्सेना के आधार पर शब्दरूप, धातुरूप, संस्कृतसंख्याओं एवं प्रमुख छन्दों का परिचय भी संकलन इस सप्तगङ्गम् नामक पुस्तक में किया गया है।
* इस पुस्तक का नामकरण अव्ययीभाव समास के अन्तर्गत आये ‘नदीभिश्च’ सूत्र के आधार पर ‘सप्तगङ्गम्’ (सप्तानां गङ्गानां समाहारः) किया गया है। मानों TGT संस्कृत के पाठ्यक्रम में निर्धारित सातों साहित्यिक रचनाओं को गङ्गा सदृश शीतल एवं पावन मानकर अपने कैरियर रूपी नैय्या को पार लगाने की आशा की गयी है।
* जिस प्रकार सभी नदियाँ गंगा में मिलकर अन्ततोगत्वा गंगा ही हो जाती हैं, उसी प्रकार इस ‘सप्तगङ्गम्’ नामक पुस्तक में सातों साहित्यिक रचनायें एक ही पुस्तक में समाहित हो गयी हैं।
* इस पुस्तक के द्वारा TGT के परीक्षार्थियों को वाचन (पारायण) करने में आसानी होगी, वाचन करने के लिए छात्रों को सात अलग-अलग ग्रन्थ पढ़ने पड़ते थे। शब्दरूप, धातुरूप पढ़ने के लिए अन्यान्य ग्रन्थों का सहारा लेना पड़ता था, इस पुस्तक में केवल मूलपाठ होने से, पुस्तक का आकार छोटा है, जिससे इसको कहीं भौ ले जाने ले आने में सुविधा होगी।
*’आवृत्तिः सर्वशास्त्राणां बोधादपि गरीयसी’, ‘यत्सारभूतं तदुपासनीयम् ‘, ‘शतेन जायते कण्ठःसहस्त्रेण स्मृतिर्भवेत्’ इत्यादि सूक्तियों से वाचन की महत्ता सिद्ध होती है, इसीलिए सप्तगङ्गम् TGT परीक्षार्थियों के लिए वाचन के द्वारा कल्याण करेगी – ऐसा विश्वास है
* TGT संस्कृत पाठ्यक्रम में निर्धारित सभी ग्रन्थों का मूलपाठ एक ही ग्रन्थ में मिल जाने से यह पुस्तक प्रतियोगी साथियों के लिए ” All in One” कही जा सकती है।
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