Shree Santan Gopal Stotram (श्री सन्तानगोपाल स्तोत्रम)
₹40.00
Author | Shri Ram Ji Sharma |
Publisher | Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd. |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 80 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SDPB0004 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
श्री सन्तानगोपाल स्तोत्रम (Shree Santan Gopal Stotram) जगत के सभी जीव मनुष्य, पशु, पक्षी, मृगादि प्रकृति से प्रेरित होकर, वंशवृद्धि की अभिलाषा रखते हैं। यद्यपि मनुष्य को सभी जीवों से श्रेष्ठ माना गया है और वह तो अपनी सन्तानों के हेतु बहुत कुछ करता ही है, किन्तु मूक पशु भी अपने सन्तति की सुरक्षा एवं क्षुधा निवारण हेतु कुछ भी उठा नहीं रखते । पक्षियों के विषय में तो यहाँ तक देखा गया है कि विषम परिस्थिति में स्वयं भूख से पीड़ित होते हुए भी चोंच से दाना बीन-बीन कर अपने बच्चों की क्षुधा निवारणार्थ उनकी चोंच में डालते हैं। तात्पर्य यह कि सन्तान (पुत्र) की अभिलाषा सभी जीवों को है, जिसमें मनुष्य भी एक है। श्री मार्कण्डेय पुराण के अन्तर्गत देवी माहात्म्य के प्रथम अध्याय में कहा गया है कि “मानुषा मनुजव्याघ्र साभिलाषाः सुतान् प्रति”।
“आत्मा वै जायते पुत्रः” पुत्र आंत्म स्वरूप होता है। पुत्र से अलौकिक एवं पारलौकिक सुख की प्राप्ति होती है और पुत्र रहित की सद्गति नहीं होती। इस प्रकार पुत्र की महत्ता के विषय में अनकों बातें वेद पुराणादि धार्मिक ग्रन्थों में वर्णित हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि कि बिना पुत्र के मानव जीवन निरर्थक है।
निःसन्तान दम्पत्तियों की पुत्र अभिलाषा की पूर्ति हेतु ऋषियों द्वारा प्रणीत शतचण्डी विधान, हरिवंशपुराणादि अनेकों ग्रन्थ है, जिनमें सन्तानगोपाल स्तोत्र भी एक है, जो अपेक्षाकृत सरल, सुलभ और सुगम भी है। इसके विधि पूर्वक पाठ से वन्ध्यत्व दोष नष्ट होता है और भगवत् कृपा से पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। “सन्तानगोपाल स्तोत्रम्’ का नवीन संस्करण नवीन टीका सहित आपके समक्ष इस आशय से प्रस्तुत के पुत्रार्थी एवं जिज्ञासुगण इससे लाभ उठाकर मुझे सफल प्रयत्न करें।
Reviews
There are no reviews yet.