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Shri Durga Saptsati (सचित्र श्री दुर्गासप्तशती मूलमात्रम् बीज मंत्रों सहित)

163.00

Author Dr. Devnarayan Sharma
Publisher Shri Kashi Vishwanath Sansthan
Language Sanskrit
Edition 2024
ISBN 978-93-92989-13-1
Pages 216
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code TBVP0474
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Description

सचित्र श्री दुर्गासप्तशती मूलमात्रम् बीज मंत्रों सहित (Shri Durga Saptsati) शाक्त उपासनापद्धति यन्त्र, मन्त्र और तन्त्र का समावेशी स्वरूप है। इस प्रकार की उपासना से साधकों को अनेक प्रकार की सिद्धियाँ सद्यः प्राप्त होती हैं। इन सिद्धियों के द्वारा सांसारिक लाभ अथवा आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करना साधक का उद्देश्य होता है। सिद्धि से साक्षात्कार करना ही इसका अन्तिम लक्ष्य है। ये तीनों प्रकार की साधनाएँ अन्तर्मुखी साधनाओं की श्रेणी में आती है। तंत्रसाधना का मूल उत्स अथर्ववेद है। इसके अतिरिक्त विभिन्न आगम ग्रन्थों यथा वाराही तन्त्र, ब्रह्मयामल, रुद्रयामल आदि ग्रन्थों में तान्त्रिकसाधनापद्धति, पुरश्चरण, ध्यानयोग आदि का वर्णन उपलब्ध है। तंत्र को गुह्यविद्या भी कहा गया है। इस विद्या के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मशक्ति या आध्यात्मिक उर्जा का विकास करके कई प्रकार की दिव्य शक्तियों से सम्पन्न हो जाता है। यह साधना सम्मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भनादि षट्कर्मों के सम्पादन में भी सहायक होती है। यद्यपि ये वाममार्गी साधना के अंग हैं। तथापि दक्षिणमार्ग में भी साधक इसका आश्रय लेते हैं।

तंत्र के आदि उपदेष्टा भगवान् शिव हैं। शिव के अतिरिक्त भगवान् दत्तात्रेय, नारद, वसिष्ठ, पिप्पलाद, उशना, गालव, गौतम, शतातप आदि अनेक ऋषियों को इसका प्रवर्तक माना जाता है। तंत्रसाधना में बीजमन्त्रों में कई तरह के अक्षरों का प्रयोग किया जाता है। जैसे  – हीं, क्लीं, श्रीं, ऐं, कूं, क्रीं आदि। इस साधना पद्धति द्वारा देवीकाली, अष्टभैरवी, नवदुर्गा, दशमहाविद्या, चौंसठयोगिनी आदि देवियों की साधना सद्यः फलदायिनी होती है। इसी प्रकार देवताओं में रुद्र, कालभैरव, बटुक भैरव आदि की प्रसन्नता के लिए इस साधनापद्धति का प्रयोग किया जाता है। मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत दुर्गा सप्तशती का बीजमन्त्रान्वित पाठ का यह परिवर्द्धित संस्करण साधकों के सम्मुख है। संवत् २०१८ में प्रकाशित बीजमंत्रयुक्त प्राचीन दुर्गासप्तशती को नूतन कलेवर में प्रस्तुत किया गया है। इसके अनुष्ठान से साधकों को दिव्य अपरिमीत शक्तियों की प्राप्ति होती है।

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