Shuklayajurved Rudra Ashtadhyayi (शुक्लयजुर्वेद रुद्राष्टाध्यायी)
₹50.00
Author | Pt. Shri Vayunandan Mishra |
Publisher | Shri Master Khiladilal Shitla Prashad |
Language | Sanskrit |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 112 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SVP0027 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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शुक्लयजुर्वेद रुद्राष्टाध्यायी (Shuklayajurved Rudra Ashtadhyayi) शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी, भगवान शिव का सबसे प्रशंसित और प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह आध्यात्मिक ज्ञान की सबसे पुरानी अभिव्यक्तियों में से एक है। इसमें कुल दस अध्याय हैं, लेकिन आठ तक को ही मुख्य माना जाता है रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करते समय पांचवां और आठवां अध्याय “नमक चमक पाठ” कहलाता है। नमक चमक पाठ के 11 आवर्तन पूरे होने पर इसे “एकादशिनी रुद्री” पाठ कहा जाता है। एकादशिनी रुद्री पाठ के 11 आवर्तन पूरे होने पर इसे “लघु रुद्री” पाठ कहा जाता है। रुद्राभिषेक मंत्र कोई एक मंत्र नहीं बल्कि मंत्रों का समूह है, जिसे ‘शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी’ के रूप में भी जाना जाता है। ऋषियों ने शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से रुद्राभिषेक करने का विधान शास्त्रों में दिया है।
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