Shukla Yajurvediya Mantra Samhita (शुक्लयजुर्वेदीय मन्त्रसंहिता)
₹175.00
Author | Veni Ram Sharma Gaud |
Publisher | Vyass Prakasan, Varanasi |
Language | Sanskrit |
Edition | 2013 |
ISBN | - |
Pages | 128 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0093 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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शुक्लयजुर्वेदीय मन्त्रसंहिता (Shukla Yajurvediya Mantra Samhita) वेद हिन्दू-जातिका सर्वश्रेष्ठ धर्मग्रन्थ है। इस धर्मग्रन्थमें कर्मकाण्ड, उपासनाकाण्ड ओर ज्ञानकाण्ड – इन तीनों विषयोंका मुख्यतः वर्णन है, किन्तु इन तीनोंमें प्रधान स्थान ‘कर्मकाण्ड’ को ही प्राप्त है। वेदोंमें कर्मकाण्डकी प्रधानता होनेके कारण ही हिन्दुओंके जन्मसे लेकर मरणपर्यन्त तकके समस्त वैदिक कर्मकाण्ड के क्रिया-कलापमें वेदमन्त्रोंका ही प्रयोग होता है। वेदमन्त्रोंके बिना वैदिक कर्मकाण्ड नहीं हो सकते। अतः वैदिक कर्मकाण्डके परिज्ञानार्थ प्रत्येक कर्मकाण्डीको सम्पूर्ण शुक्ल यजुर्वेदसंहिताका सस्वर कण्ठस्थ होना अत्यावश्यक है।
वर्तमान समयमें ब्राह्मण-समाजमें वेदोंके अध्ययनाध्यापनकी न्यूनताके कारण वेदज्ञ ब्राह्मणोंकी कमी होती जा रही है। अतः कर्मकाण्डको करानेवाले आचार्य आदि ब्राह्मण अधिकांश रूपमें वेदज्ञ नहीं होते, जिससे वे कर्मकाण्डमें प्रयुक्त होनेवाले वेदमन्त्रोंका ठीक-ठीक उच्चारण नहीं कर सकते। इस प्रकार के ब्राह्मणोंके लिए ‘मन्त्र-संहिता’ विशेष उपयोगी है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मन्त्र संहितामें दिये गये वेद-मन्त्रोंको कण्ठस्थ कर लेनेसे प्रत्येक ब्राह्मण कर्मकाण्डमें निपुणता प्राप्त कर सभी प्रकारके कर्मकाण्डको भलीभाँति करा सकता है।
अतः मन्त्रसंहिताका अध्ययन और कण्ठस्थीकरण प्रत्येक ब्राह्मण के लिये आवश्यक है। इस मन्त्र-संहिता में सन्ध्या, तर्पण, नित्यहोम, बलिवैश्वदेव, देवपूजन आदि समस्त नित्य, नैमित्तिक और काम्य कर्ममें उपयुक्त होनेवाले महत्त्वपूर्ण ५२३ वैदिक मन्त्र हैं। परिशिष्टमें वेदज्ञ कर्मकाण्डियोंके लाभार्थ बेदके जटाद्यष्टविकृतिके लक्षण और उदाहरण दिये गये हैं।
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