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Tatparya Vritti (तात्पर्यवृत्ति)

315.00

Author Mani Shankar Dwivedi
Publisher Vidyanidhi Prakashan, Delhi
Language Hindi
Edition 2014
ISBN 978-9380651880
Pages 200
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VN0010
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Description

तात्पर्यवृत्ति (Tatparya Vritti) पुस्तक शोधग्रन्थ का मुख्य प्रतिपाद्य तात्पर्यवृत्तिविषयक सम्यक् विचार है जिसमें मुख्य रूप से तात्पर्यवृत्ति का स्वरूप, उसके उद्भव एवं विकास, उसकी स्वीकृति, अस्वीकृति विषयक काव्यशास्त्रेतर मतों का सामान्य विवेचन प्रस्तुत कर विशेषरूप से काव्यशस्त्रियों के एतद्विषयक मतो का सम्यक् अनुशीलन किया गया है। यह शोधग्रन्थ तीन अध्यायों में विभक्त है।

‘विषय-प्रवेश’ नामक प्रथम अध्याय में शब्दार्थविषयक विवेचन है। जिसमें सर्वप्रथम वैदिक वाङ्मय में उपस्थित शब्दतत्त्व से सम्बन्धित चिन्तन का उपस्थापन कर वैयाकरणों, नैयायिकों, मीमासकों एवं काव्यशास्त्रियों के शब्द, अर्थ एवं शब्दार्थसम्बन्धविषयक मतों का संक्षेप में विवरण प्रस्तुत करते हुए अभिधा, लक्षणा एवं व्यञ्जना शब्दवृत्तियों का सामान्य विवेचन किया गया है।

“काव्यशास्त्रेतरशास्त्रों में तात्पर्यवृत्तिविषयक विचार” नामक द्वितीय अध्याय मुख्यरूप में तात्पर्यसम्बन्धी विचार को समर्पित है। इस अध्याय में तात्पर्यवृत्ति के उद्भव, स्वरूप एवं वाक्यार्थबोध में उसकी भूमिका के साथ-साथ तात्पर्यविषयक वैयाकरणों, नैयायिकों, वेदान्तियों एवं मीमांसकों के मतों पर प्रकाश डालते हुए वाक्य एवं वाक्यार्थ का विचार कर, मीमांसकों के वाक्यार्थ सम्बन्धी अभिहितान्वयवाद एवं अन्विताभिधानवाद पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया है।

“काव्यशास्त्रीय तात्पर्यवृत्तिविषयकविचार” नामक तृतीय अध्याय में तात्पर्यवृत्तिविषयक काव्यशस्त्रियों के मतों का विशद विवेचन किया गया है जिसमें तात्पर्यवृत्ति के समर्थक आचार्यों द्वारा इसके पक्ष में उपस्थित किये गये तर्कों एवं तात्पर्यवृत्ति को स्वतन्त्र वृत्ति न मानकर अभिधादि अन्य वृत्तियों में समावेश करने के पक्ष में तर्क देने वाले आचार्यों के मतों पर प्रकाश डाला गया है। अन्त में समीक्षात्मक उपसंहार के साथ इस शोधग्रन्थ की परिणति हुई है।

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