Tuladan Paddhati (तुलादान पद्धति)
₹25.00
Author | Shri Dhar Shastri |
Publisher | Shastri Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition |
ISBN | - |
Pages | 62 |
Cover | Paper Back |
Size | 17 x 0.5 x 11 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SP0012 |
Other | Dispach in 1-3 days |
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तुलादान पद्धति (Tuladan Paddhati) कर्म-काण्ड सम्बंधि पद्धतियों को सुगम विधि से प्रकाशित करने के क्रम में यह तुलादान पद्धति आपके सामने है। तुलादान के सम्वन्ध में प्राप्त कुछ पद्धतियों में मंडप निर्माण कर पुण्याहवाचन, नान्दीश्राद्ध आदि करने का उल्लेख है। कुछ पद्धतिकार ६४ योगिनी, क्षेत्रपाल आदि के पूजन को भी लिखते हैं, किन्तु धर्मशास्त्रों में पंचदेवपूजन की ही विधि लिखी गयी है।
पद्धतिकारों ने तुलादण्ड में २४ सुवर्णप्रतिमा बांधने को भी लिखा है। दोनों कूटों में विष्णु-अनन्त की सुवर्ण प्रतिमा बांधने को लिखते हैं। तुलादण्ड के बीचोबीच चार मासे की स्वर्णमयी विष्णु प्रतिमा बांधने का विधान दिया है, यह सब अपनी शक्ति के अनुसार करना चाहिए। असमर्थता की स्थिति में रक्षासूत्र (कलावा) बांधना चाहिए। तुला को दक्षिण-उत्तर के क्रम में रखना चाहिए। शुद्ध स्थान में अष्टदल कमल बनाकर गौरी-गणेश कलश की स्थापना करे। हवन वेदी बना ले। यजमान शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजन करे। तुलादान के बाद वह कपड़ा त्याग दे। दूसरा नवीन वस्त्र धारण कर हवन आदि करे।
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