Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-15%

Vakreshwar Ki Bhairavi (वक्रेश्वर की भैरवी)

212.00

Author Arun Kumar Sharma
Publisher Vishwavidyalay Prakashan
Language Hindi
Edition 3rd edition, 2022
ISBN 978-81-7124-958-9
Pages 204
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VVP0143
Other Dispatched in 1-3 days

 

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

वक्रेश्वर की भैरवी (Vakreshwar Ki Bhairavi) ‘वक्रेश्वर की भैरवी’ योग-तन्त्र परक कथाओं का संग्रह है। यद्यपि ये अविश्वसनीय और असम्भव-सी लगेगी किन्तु स्वाभाविक भी है। आज के वैज्ञानिक युग में इन पर विश्वास करना मुश्किल है- इन्द्रियों की सीमा से परे घटित घटनाओं पर। इस भौतिक जगत में दो सत्ताएँ हैं- आत्मपरक सत्ता और वस्तुपरक सत्ता। वस्तुपरक सत्ता के अन्तर्गत आने वाली वस्तुओं को तो प्रमाणित किया जा सकता है, लेकिन आत्मपरक सत्ता को नहीं। इसलिए कि आत्मपरक सत्ता की सीमा के अन्तर्गत जो कुछ भी है, उनका अनुभव किया जा सकता है, और उनकी अनुभूति की जा सकती है। अनुभव मन का विषय है और अनुभूति है आत्मा का विषय। दोनों में यही अन्तर है। मन को एकाग्र कर आत्मलीन होने पर इन्द्रियातीत विषयों की अनुभूति होती है।

वेद परम ज्ञान हैं और तंत्र हैं गुह्य ज्ञान, जो अपने आप में अत्यन्त रहस्यमय गोपनीय और तिमिराच्छन्न है। उसके वास्तविक स्वरूप से परिचित होने के लिए जहाँ एक ओर योग तंत्र पर शोध एवं अन्वेषण किया, वहीं इसकी ओर प्रच्छन्न, अप्रच्छन्न रूप में संचरण-विचरण करके सिद्ध योगी साधकों और अति गोपनीय ढंग से निवास करने वाले संत-महात्माओं की खोज में हिमालय और तिब्बत की जीवन-मरण- दायिनी हिम-यात्रा भी की। पूरे तीन साल रहा तिब्बत के रहस्यमय वातावारण में। उन्हीं अलौकिक और अभौतिक घटनाओं और चमत्कारपूर्ण अविश्वसनीय अनुभव ‘वक्रेश्वर की भैरवी’ में पढ़िए।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Vakreshwar Ki Bhairavi (वक्रेश्वर की भैरवी)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×