Vrat Aur Tyohar (बारह महीनों के हिन्दुओ के पवित्र व्रत और त्यौहार)
₹102.00
Author | Pt. Punit Mishra |
Publisher | Rupesh Thakur Prasad Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 184 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0131 |
Other | Code - 390 |
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बारह महीनों के हिन्दुओ के पवित्र व्रत और त्यौहार (Vrat Aur Tyohar) हिन्दू धर्म में सैंकड़ों त्योहार है। धनतेरस, दीपावली, होली, नवरात्रि, दशहरा, महाशिवरात्री, गणेश चतुर्थी, रक्षाबंधन, कृष्णजन्माष्टमी, करवां चौथ, रामनवमी, छठ, वसंत पंचमी, मकर संक्रांति, दुर्गा पूजा, भाईदूज, उगादि, ओणम, पोंगल, लोहड़ी, हनुमान जयंती, गोवर्धन पूजा, काली पूजा, विष्णु पूजा, कार्तिक पूर्णिमा, नरक चतुर्थी, रथ यात्रा, गौरी हब्बा उत्सव, महेश संक्रांति, हरतालिका तीज, थाईपुसम, श्राद्ध, कुंभ, ब्रह्मोत्सव, आदि।… लेकिन इनमें से कुछ त्योहार है, कुछ पर्व, कुछ व्रत, पूजा और कुछ उपवास। उक्त सभी में फर्क करना चाहिए।
हिंदू त्योहार कुछ खास ही हैं लेकिन भारत के प्रत्येक समाज या प्रांत के अलग-अलग त्योहार, उत्सव, पर्व, परंपरा और रीतिरिवाज हो चले हैं। यह लंबे काल और वंश परम्परा का परिणाम ही है कि वेदों को छोड़कर हिंदू अब स्थानीय स्तर के त्योहार और विश्वासों को ज्यादा मानने लगा है। सभी में वह अपने मन से नियमों को चलाता है। कुछ समाजों ने मांस और मदिरा के सेवन हेतु उत्सवों का निर्माण कर लिया है। रात्रि के सभी कर्मकांड निषेध माने गए हैं।
उन त्योहार, पर्व या उत्सवों को मनाने का महत्व अधिक है जिनकी उत्पत्ति स्थानीय परम्परा, व्यक्ति विशेष या संस्कृति से न होकर जिनका उल्लेख वैदिक धर्मग्रंथ, धर्मसूत्र और आचार संहिता में मिलता है। ऐसे कुछ पर्व हैं और इनके मनाने के अपने नियम भी हैं। इन पर्वो में सूर्य-चंद्र की संक्रांतियों और कुम्भ का अधिक महत्व है। सूर्य संक्रांति में मकर सक्रांति का महत्व ही अधिक माना गया है।
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