Hans Kashi Ank (हंस काशी अंक)
₹425.00
Author | Premchand |
Publisher | Vishwavidyalay Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2022 |
ISBN | 978-93-87643-55-0 |
Pages | 238 |
Cover | Pepar Back |
Size | 18 x 2 x 24 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VVP0043 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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हंस काशी अंक (Hans Kashi Ank) उत्तमांग, सिर, जैसे मनुष्य के शरीर में, सब ज्ञानों, सब रसों, सब क्रियाओं का मूल उद्भवस्थान है, वैसे ही एक एक महाजाति, महासमाज, महाराष्ट्र की सभ्यता शिष्टता का, उसके शास्त्रों, उसकी कलाओं, उसके आचारों, रहन-सहन के प्रकारों, का प्रधान केन्द्र स्थान एक विशिष्ट नगर हुआ करता है। और जैसे सततवाहिनी शरीरव्यापिनी त्रिपथगा, ऊर्ध्वगा, अधोगा, तिर्यग्गा, रसमयी रुधिरनदी के आश्रय से मस्तिष्क जीता है, वैसे ही प्रायः यह मुख्य पुरी भी एक विशिष्ट नदी के आश्रय से बसती है। ये नदी-नगर अपने-अपने देश, अपनी-अपनी जाति, में उत्तम पवित्रतम माने जाते है। भारतवर्ष का मस्तक, उत्तमांग काशी-गंगा का तीर्थ, मनुष्य-‘स्मृति’ से अतीत ‘श्रुति’ काल से, बना हुआ है। मिस्र (ईजिप्ट) देश की प्राचीन जाति, प्राचीन सभ्यता, का केन्द्र, मन्नफ़र (मम्फिस) नगर, लुप्त हो गया। नील नदी जिसके किनारे वह बसा था, अब तक बह रही है।
दूसरे नगर, दूसरी जातियाँ, दूसरी सभ्यता, दूसरी रीति-नीति, उसके सहारे जी रही हैं। यही दशा उफ्रात (युफ्राटीज) नदी के किनारे बसी, बाबिली और काल्दी जाति की राजधानी, बाबील नगरी, की हुई। तथादजला (टिग्रिस) के तीर पर खड़ी, असीरी जाति की राजधानी, नैनवा, की यही कथा है। बुद्धदेव के समय से, अर्थात् आज से ढाई हज़ार वर्ष से, पहले के नामी ऐतिहासिक नगर, जो अब भी जी रहे हैं, काशी को छोड़कर, प्रायः तीन ही रह गये हैं; जार्दन नदी से कुछ फ़ासिले पर बसा जरूसलम, जो प्राचीन यहूदी जाति का राजपुर और धर्मपुर भी था और अब ईसाइयों का मान्य है, तथा इलिस्सस नदी के तीर पर समुद्र के पास बसा आथेन्स, जो ग्रीसदेश और ग्रीक जाति की राजधानी है, तथा टैबर नदी के किनारों पर समुद्र के पास बसा रोम नगर, जो इटली देश और इटालियन जाति की राजधानी है; पर जरूसलम प्रायः ईसा पूर्व १५०० वर्ष हुए बसा, आथेन्स प्रायः ई० पू० १४००, रोम की नीव ई० पू० ७५४ में पड़ी।
इस समय जो मानव लोक की मुख्य प्रख्यात राजधानियाँ हैं, यथा जापान में सुमिदा नदी के किनारे टोकियो, चीन में हुन-हो के पास पीपिङ् (जिसका पुराना नाम संघराज्य अर्थात् रिपब्लिक के स्थापन के पहले पीकिङ था), तिब्बत में की-चू नदी के पास ल्हासा, अरब देश में (नदियों के अभाव से) जमजम कुंड तथा नहरों के सहारे बसा मक्का, रूस में मोस्क्वा नदी के किनारे मोस्काउ, आस्ट्रिया में डान्युब के किनारे वियेना, जर्मनी में स्त्री के किनारे बर्लिन, फ्रांस में सीन के तीर पर पैरिस, इंग्लैण्ड में टेम्स के तीर पर लन्दन, उत्तर अमेरिका में हड्सन के तीर पर न्यू यार्क, दक्षिण अमेरिका में समुद्र के किनारे रायो ओरो की नहरों के सहारे रायो-डी- जानीरो, आदि, जिनमें दस ग्यारह लाख से लेकर (यथा रायो-डी-जानीरो में) सत्तर-पछत्तर लाख तक (यथा लन्दन में) मनुष्य बसते हैं- ये सब बुद्ध से शताब्दियों पीछे, ईसा के जन्म के आसपास के, कुछ तो बहुत थोड़े वर्षों के, बसे और बने हैं।
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