Shakti Peeth Darshan (शक्तिपीठ दर्शन)
₹25.00
Author | - |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Hindi |
Edition | 6th edition |
ISBN | - |
Pages | 144 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 1 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0060 |
Other | Code - 2003 |
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CompareDescription
शक्तिपीठ दर्शन (Shakti Peeth Darshan) पिछले वर्षों में शक्ति-अंक, शक्ति-उपासना-अंक तथा महाभागवत- शक्तिपीठाङ्क गीता प्रेस द्वारा कल्याण के विशेषाङ्क के रूप में प्रकाशित हुए थे, जिनमें शक्ति पीठों के सम्बन्ध में विस्तृत वर्णन दिया गया है। पाठकों की ये भावना थी कि शक्ति पीठों के सम्बन्ध में एक विशेष पुस्तक प्रकाशित की जाय। इसी दृष्टि से ‘शक्तिपीठ दर्शन’ पुस्तक प्रस्तुत है।
वास्तव में महाशक्ति ही परब्रह्म परमात्मा हैं, जो विभिन्न रूपों में लीलाएँ करती हैं, इन्हींकी शक्तिसे ब्रह्मा विश्वकी उत्पत्ति करते हैं, इन्हींकी शक्तिसे विष्णु सृष्टिका पालन करते हैं और शिव जगत्का संहार करते हैं। अर्थात् सृजन, पालन और संहार करनेवाली ये आद्या पराशक्ति ही हैं, ये ही पराशक्ति नवदुर्गा, दशमहाविद्या हैं। ये ही अन्नपूर्णा, जगद्धात्री, कात्यायनी एवं ललिताम्बा हैं। गायत्री, भुवनेश्वरी, काली, तारा, बगला, षोडशी, त्रिपुरा, धूमावती, मातंगी, कमला, पद्मावती, दुर्गा आदि इन्हींके रूप हैं। ये ही शक्तिमान् एवं ये ही शक्ति हैं, ये ही नर और नारी एवं माता, धाता तथा पितामह भी ये ही हैं।
‘शक्तिपीठ-दर्शन’ पुस्तकमें ५१ शक्तिपीठोंका वर्णन, उनकी वर्तमान स्थिति और उनसे सम्बन्धित कुछ विशेष लेखोंको प्रस्तुत किया गया है, जिनमें उनकी रोचक कथाएँ भी हैं। वैसे तो यह सम्पूर्ण संसार ही देवीमय है, सृष्टिके कण-कणमें उन्हीं आद्याशक्ति जगज्जननी, जगन्माताका निवास है, परंतु कुछ विशिष्ट स्थान, दिव्य क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहाँ देवी चिन्मयरूपसे विराजती हैं और उनकी इसी सन्निधिके कारण वे स्थान भी चिन्मय हो गये हैं। शक्तिके इन्हीं स्थानों को देवी-उपासनामें शक्तिपीठकी संज्ञा दी गयी है। इन स्थलोंपर पूजा, उपासना तथा साधनाका विशेष महत्त्व है। आशा है पाठक इस पुस्तक से लाभान्वित होंगे।
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