Saral Durgapath Vidhi (सरल दुर्गापाठ विधि)
₹149.00
Author | Dr. Ramamilan Mishra |
Publisher | Shree Vedang Sansthan Prayagraj |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-81-9580563-1 |
Pages | 240 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SVS0013 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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सरल दुर्गापाठ विधि (Saral Durgapath Vidhi) नवरात्र में प्रायः सभी सनातनी भगवती दुर्गा जी का पूजन तथा दुर्गा पाठ एवं हवन करते हैं, सम्प्रति जो भी पद्धतियां या पुस्तकें दुर्गापाठ से संबंधित बाजार में उपलब्ध हैं वह मात्र पण्डितों के प्रयोग योग्य हैं सामान्य भक्त उनसे पूजा पाठ स्वयं नहीं कर सकते। नवरात्र में प्रत्येक घर में माँ दुर्गाजी की आराधना होती है इसलिए योग्य विद्वान पंडितों की भी उपलब्धता सहजता से नहीं हो पाती, जिसके कारण माता जी के भक्तों के मन में ‘पूजन में कुछ त्रुटि न हो जाय’ यह कष्ट बना रहता है, इस दृष्टिकोण से बहुत काल से चिन्तन चल रहा था कि कोई ऐसी पुस्तक हो जिसके माध्यम से कोई भी भक्त अपने से नवरात्र में कलश स्थापन भी कर ले और पूजन तथा दुर्गापाठ भी करके अन्त में हवन भी सहज विधि से कर सके।
इसी मध्य हमारे संरक्षक परमादरणीय आत्मारामदुबे जी, जो माता जी के अनन्य उपासक भक्त हैं (इस समय लखनऊ रह रहे हैं) उनको कार्तिक शुक्लपक्ष की छठ की रात्रि में अद्भुत स्वप्न हुआ उनके द्वारा वह स्वप्न लिखकर भेजा गया है इससे सुस्पष्ट होता है कि मन के संकल्प को स्वप्न के माध्यम से भगवती साकार करना चाहती हैं, अतः परिणामतः माननीय दुबे जी द्वारा माता का स्वप्नादेश सुनकर एक दिन बाद माता की परं प्रिय अष्टमी तिथि के दिन ही पुस्तक का लेखन कार्य प्रारम्भ कर दिया गया। इस पुस्तक में कलश स्थापन एवं पूजन की अति सरल विधि, हिन्दी तथा सरल संस्कृत में क्रमशः दुर्गापाठ, अन्त में हवन का सरल विधान, आरती इत्यादि क्रमबद्ध तरीके से दिया गया है। इसके माध्यम से सर्वसामान्य व्यक्ति जो संस्कृत नहीं भी पढ़ा है वह भी पूजन, पाठ और हवन कर सकेगा। हिन्दी और संस्कृत दोनों में पाठ होने से जिसकी जिस भाषा में गति या रुचि हो वह उस भाषा में पाठ कर सकेगा।
प्रस्तुत ‘सरल दुर्गापाठ विधि’ नामक पुस्तक को यथा सम्भव सर्वग्राह्य बनाने का सर्वविध प्रयत्न किया गया है तथापि यदि किसी को इस पुस्तक के किसी भाग में कुछ जटिलता या त्रुटि का अनुभव हो तो अवश्य सूचित करें ताकि अगले संस्करण में उसका सुधार किया जा सके। हमें विश्वास है इस विधि से आप स्वतः ही पूजन, पाठ, हवन करके अवश्य ही माता जी की कृपा को प्राप्त करते हुए सपरिवार सानन्दित होंगे।
‘सरल दुर्गापाठ विधि’ नामक प्रस्तुत ग्रन्थ पं. आत्माराम दुबे जी के आर्थिक सहयोग से मुद्रित हुआ, अतः श्रीमान दुबे जी को बहुत बहुत धन्यवाद, माताजी की निश्चला पराभक्ति आपको प्राप्त हो तथा आपका परिवार सदैव माँ का कृपापात्र बनें। अत्यल्प समय में टंकण से लेकर समस्त कम्प्यूटर कार्य श्री ब्रह्मानन्द मिश्र (कृष्णा कम्प्यूटर संस्थान, दारागंज, प्रयागराज) द्वारा किया गया इसके लिए श्री मिश्र जी को साधुवाद, श्री सुरेन्द्रमणि त्रिपाठी जी (एकेडमी प्रेस) को पुस्तक के मुद्रण सहयोगार्थ धन्यवाद।
डॉ. बाबूलाल मिश्र जी का आशीर्वाद ग्रन्थस्वरूप में महनीय भूमिका निर्वहन करता है तदर्थ पूज्य गुरुजी को सतत प्रमाम निवेदित करते हुए प्रूफ रीडिंग में सहयोगार्थ पं. द्वारिकाप्रसाद पाण्डेय (वैदिक आचार्य) जी का आभार व्यक्त करता हूँ। अन्य जिस किसी का भी किसी रूप में इस महनीय कार्य में सहयोग हुआ हो सबके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। गीताप्रेस गोरखपुर का भी आभार जिसके द्वारा प्रकाशित दुर्गासप्तशती से बहुत कुछ अंश संग्रहीत किया गया, साथ ही कर्मकाण्ड प्रबोध, शिवराम आप्टे शब्दकोश सहित अन्यान्य जिन ग्रन्थों का सहयोग प्राप्त हुआ है सबके प्रति अत्यन्त विनम्रतापूर्वक आभार व्यक्त करता हूँ तथा भगवती से निवेदन करता हूँ कि सभी सहयोगियों के प्रति तथा पाठकों के प्रति माँ अपनी निरन्तर कृपा बनायें रहें।
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