Vishal Mantra Tantra Aushadhi Evam Durga Sapshati Mangal (विशाल मंत्र तंत्र औषधि एवं दुर्गा सप्तशती मंगल)
₹100.00
Author | Ram Vishal Shastri |
Publisher | Shri Thakur Prasad Pustak Bhandar |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2010 |
ISBN | - |
Pages | 160 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0133 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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विशाल मंत्र तंत्र औषधि एवं दुर्गा सप्तशती मंगल (Vishal Mantra Tantra Aushadhi Evam Durga Sapshati Mangal) जीवन में मनुष्य अपने सुख के लिए भौतिक साधनों को जुटाता है, उन साधनों को जुटाने में अनेक प्रकार की कठिनाईयाँ पैदा होती है। उन कठिनाईयों को दूर करने के लिए मनुष्य प्रकृति द्वारा दिये गये पदार्थों का प्रयोग करता है। जब वह उन जड़ी-बूटी एवं नाना प्रकार की दवाओं से लाभ नहीं पाता है, तब अप्रत्यक्ष प्रभावकारी मंत्र-तंत्र शक्ति का सहारा लेता है। इसके आगे भी वह देवी-देवता की. आराधना से दुःख निवारण के लिए अपने कार्य की सिद्धि के लिये प्रयास करता है।
इसी कड़ी में ज्योतिष शास्त्र के आधार रूप ग्रहों के शुभ-अशुभ (प्रभाव) का मूल्यांकन करता है। ग्रहों का अशुभ प्रभाव मानव पर रोग बाधा, कार्यक्षेत्र में बाधा, भूत पेत बाधा दूसरे आर्थिक संकट, पारिवारिक संकट आदि के रूप में पड़ता है। इस पुस्तक में कुछ अनुभव किये गये मंत्रों-तंत्रों-यंत्रों का प्रयोग तथा अनुभूत दवाओं के प्रयोग करने की बात लिखी है। इस पुस्तक में तीन पटल हैं। इसमें मैंने उड्डीश तन्त्र, सिद्ध गोरखनाथ बाबा की मनोकामना सिद्धि, तन्त्र साधना मंत्र रहस्य आदि ग्रन्थों से सरल निज अनुभव पूर्ण प्रयोग लिखे हैं।
इसमें मंत्र साधन के अंग माला का प्रयोग, मानस जप आदि की विधि, ज्योतिषि शास्त्र की दृष्टि में मंत्र उपासना, विद्यादात्री सरस्वती गायत्री आदि अनेक देवताओं के गायत्री मंत्रों के प्रयोग लिखे हैं। छिन्नमस्ता आदि देवियों की आराधना व प्रयोग वशीकरण, सम्मोहन, विद्वेषण, कामना की सिद्धि के प्रयोग, भूतबाधा निवारण, धन लाभार्थ प्रयोग, गर्भधारण-बन्ध्या दोष निवारण प्रयोग। कुछ वृक्षों के बांदों के प्रयोग विभिन्न कार्यों की सिद्धि के लिये अंकित किये हैं। अनेक प्रकार के रोगों के निवारण के लिए अनुभूत औषधियों का सविधि वर्णन किया, जिसमें पढ़ने वाले लोग अपना और दूसरों का कल्याण कर सकते हैं। दुर्गा सप्तशती का गंभीर पठन व चिन्तन एवं अनुभव करके लोगों के हित के लिये अपने अनुभव को इस ग्रन्थ में कर्मसिद्धि कर लाभ हेतु, व्यापार में उन्नति व लाभार्थ, रोग निवारण हेतु अनेक प्रयोग लिखे हैं। संकट नाशक, उच्चाटन, सम्मोहन, श्रेष्ठ पत्नी प्राप्ति हेतु इत्यादि अनेक उपाय अंकित किये हैं। स्वानुभूत लिखित प्रयोग अधिक है।
इस पुस्तक में हमने “ग्रहों की शान्ति” के लिए भी एक प्रकरण लिखे हैं। जिसे मैंने ‘लाल किताब” से पढ़कर एवं विषय को स्वयं प्रयोग से एवं दुर्गा सप्तशती के विभिन्न प्रयोगों से अधिक से अधिक लाभ मिले। संभव है इस पुस्तक में मेरे द्वारा कुछ त्रुटियाँ हुई हों। विद्वान् लोग उनको क्षमा करते हुये, लोक कल्याण के लिये इस पुस्तक का अधिकाधिक प्रयोग करेंगे।
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