Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-14%

Kalidassya Kinchit (कालिदासस्य किञ्चित्)

300.00

Author Dr. Prabhu Nath Divedi
Publisher Sharda Sanskrit Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2019
ISBN 978-81-941224-5-6
Pages 217
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SSS0018
Other Dispatched in 1-3 days

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

कालिदासस्य किञ्चित् (Kalidassya Kinchit) संस्कृतसाहित्य में महाकवियों की गणना के प्रसङ्ग में महाकवि कालिदास प्रथम स्थानीय हैं। महाकवि कालिदास के विषय में जितना लिखा गया है, कहा गया है और किया गया है, सम्भवतः उतना अन्य किसी कवि के सम्बन्ध में नहीं होगा। भारत किंवा विश्व की प्रायः सभी भाषाओं में कालिदास की उपस्थिति किसी न किसी रूप में अवश्य है, क्योंकि कालिदास से रहित संस्कृत साहित्य की कल्पना की ही नहीं जा सकती।

कालिदास से परिचय ‘मेघदूत’ के माध्यम से हुआ। यह दूतकाव्य (गीतिकाव्य) एम० ए० के पाठ्यक्रम में निर्धारित था। उस समय इस सरस काव्य का अध्ययन करते हुए स्वान्तः सुखाय हिन्दी पद्यानुवाद भी कर डाला (अभी अप्रकाशित)। बाद में लघुत्रयी की ‘सञ्जीवनी’ टीका को पीएच०डी० उपाधि-हेतु शोध का विषय बनाया और इसी क्रम में महाकवि की सातों कृतियों का गम्भीर अनुशीलन किया। प्राध्यापक नियुक्त होने के पश्चात् ‘मेघदूत’, ‘रघुवंश’ और ‘अभिज्ञानशाकुन्तल’ को पढ़ाने का सुअवसर प्राप्त हुआ तथा प्रकाशकों के आग्रहवश ‘कुमारसम्भव’ (सर्ग- १, २, ३) और ‘रघुवंश’ (सर्ग-५-६ तथा १३-१४) की संस्कृत-हिन्दी व्याख्या भी की। इस प्रकार, महाकवि से परिचय और अधिक प्रगाढ़ होता गया। ‘कालिदासस्य किञ्चित्’ शीर्षक ग्रन्थ में। निबन्धों के विषय वैविध्यपूर्ण हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Kalidassya Kinchit (कालिदासस्य किञ्चित्)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×