Siddha Mantra Anusthan Prayog Vidhi (सिद्धमन्त्रानुष्ठान प्रयोग विधिः)
₹97.00
Author | Dr. Devnarayan Sharma |
Publisher | Shri Kashi Vishwanath Sansthan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-93-92989-31-5 |
Pages | 122 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0254 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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सिद्धमन्त्रानुष्ठान प्रयोग विधिः (Siddha Mantra Anusthan Prayog Vidhi) सम्पूर्ण जगत् दुःखालय तथा अशाश्वत है। यहाँ आने के बाद सभी जीवों को प्रारब्धानुसार दुःखादि का भोग करना पड़ता है। मनुष्यों को भी, जो सृष्टि का सर्वोत्तम प्राणी है तथा भगवान् की अकारण करुणा के फलस्वरूप उसे यह शरीर प्राप्त होता है, जन्म लेने के पश्चात् क्षुत्, पिपासा, रोग, शोक, दैन्य, दारिद्रय, आधिव्याधि, बाधा, विपत्ति, मृत्यु तथा इष्टवियोगादि असंख्य दुःखों का सामना करना पड़ता है। आध्यात्मिक दृष्टि से यद्यपि ये समस्त प्रतिकूलताएँ प्रारब्ध भोग हैं।
प्रारब्ध भोगना ही पड़ता है- ‘नाभुक्तं क्षीयते कर्म’। पूर्वकृत कर्म ही प्रारब्ध बनते है, तथापि भगवत्कृपा से, दैवीशक्तियों के प्रभाव से उन दुःखद भोगो में भी अल्पता या न्यूनता सम्भव है। कभी-कभी तो आश्चर्यजनक रूप से देवाराधन से उपर्युक्त प्रतिकूलताओं को समूल नष्ट होते हुए भी देखा गया है। भगवद्गीता में भगवान् का स्पष्ट उद्घोष है-
अनन्याश्चिन्तयन्तोमां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्।।
अपने अनन्य भक्तो की सुरक्षा, उनके योगक्षेम का वहन् स्वयं भगवान् करते हैं। कभी-कभी तो मन्त्रों के विधिपूर्वक अनुष्ठान के प्रयोग एवं प्रभाव से भी असाध्य रोगों की निवृत्ति, अकल्पित वस्तु की प्राप्ति एवं असम्भव कार्य को सम्भव होते हुए देखा गया है। इससे सिद्ध होता है कि हमारे तत्त्वद्रष्टा महर्षियों ने अपने वर्षों की कठोर साधना एवं तप के उपरान्त जिन मन्त्रों का अनुसन्धान किया, वे मन्त्र भी अमोघ और अचूक हैं। ‘मननात् त्रायते इति मन्त्रः’ अर्थात् जिसका मनन करने से रक्षा होती हो, वही मन्त्र है। मन्त्र लौकिकी श्री और आध्यात्मिकी भक्ति के भी साधक होते हैं।
गायत्री, महामृत्युञ्जय, हनुमत्कवच, शिवकवच, देवी कवच, नारायण कवचन, बजरंग बाण, रामरक्षास्तोत्र, गजेन्द्रमोक्ष आदि इसी कोटि के मंत्र या स्तोत्र हैं। स्कन्दपुराण, शिवपुराण, मार्कण्डेयपुराण, अग्निपुराण आदि में असंख्य मंत्र, स्तोत्र, कवच आदि से युक्त आख्यान प्राप्त होते हैं। ‘सिद्धमन्त्रानुष्ठान प्रयोगविधिः’ नामक इस पुस्तक में ऐसे ही कुछ चमत्कारकारक मन्त्रों, स्तोत्रों के अनुष्ठान एवं प्रयोगविधि का वर्णन किया गया है, जिसके विधान द्वारा विविध प्रकार की विपत्तियों का निवारण, ग्रहबाधा, भूतबाधा, शत्रुबाधा, दारिद्र्य विनाश, असाध्यरोगनिवृत्ति, मानसिकशान्ति आदि का लाभ सद्यः प्राप्त हो सकता है। इसमें प्रायः सभी स्तोत्रों की भाषाटीका भी प्रस्तुत की गई है, जिससे वह सर्वजन बोधगम्य हो सके।
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