Abhinandan Bharati Evam Sanskrit Vanmaya Me Paryavaran Chetna (अभिनन्दन भारती एवं संस्कृत वाङ्ग्मय में पर्यावरण चेतना)
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Author | Pro. Vidyashankar Tripathi |
Publisher | Vishva Bharati Research Institute |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2018 |
ISBN | 978-81-85246-62-8 |
Pages | 235 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VBRI0019 |
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अभिनन्दन भारती एवं संस्कृत वाङ्ग्मय में पर्यावरण चेतना (Abhinandan Bharati Evam Sanskrit Vanmaya Me Paryavaran Chetna)
‘जयन्ति ते सुकृतिनः रससिद्धाः कवीश्वराः ।
नास्ति येषां यशःकाये जरामरणजं भयम् ।।’
आज इस भौतिक कलेवर से अविभाज्य कराल काल के मानवकृत विभाजन के अनुसार ईसाब्द के ८५ वर्ष पूर्ण कर ८६वें वर्ष में प्रवेश करने वाले गुरुदेव पद्मश्री डॉ० कपिलदेव द्विवेदी शिक्षा, शिक्षक, लेखक, चिन्तक, विचारक, विश्लेषक तथा महाकाव्यकार के घनीभूत विग्रह के रूप में पूर्ण ऋषित्व को प्राप्त कर चुके हैं। इनके शिक्षाप्रसाद को प्राप्त कर विश्वविश्श्रुत प्रतिभा के धनी गुरुदेव के अभिनन्दन ग्रन्थ ‘अभिनंन्दनभारती’ का सम्पादन करने का सुयोग अवश्य ही मेरे लिए अनिर्वचनीय उल्लासवर्धन एवं गौरव का अनायास ही वर्द्धक बन गया है। निःसन्देह एवं निःसंकोच स्वीकारता हूँ कि इतने व्यापक एवं विराट् व्यक्तित्व के धनी की जीवनसंघर्षावलि एवं विदेश यात्राएं, विदेशों में भारतीय मनीषा एवं संस्कृति के प्रचारक ‘श्रुतपारदृश्वा’ के स्वाध्याय प्रवचन तप के स्वानुभूतिजन्य स्वसंवेद्य विष्यप्रतिपादन की विलक्षण अभिव्यक्ति के प्रकार का वर्णन करना इस दुर्बल लेखनी की सामर्थ्य सीमा से बाहर है-
‘प्रांशुलभ्ये फले लोभाद् उद्वाहुरिव वामनः
राष्ट्रगीताञ्जलिः, शर्मण्याः प्राच्यविदः, भक्तिकुसुमाञ्जलिः खण्डकाव्य तथा आत्मविज्ञानम् महाकाव्य आदि के रचनाकार, ‘अथर्ववेद का सांस्कृतिक अध्ययन’, भर्तृहरि के वाक्यपदीय का दार्शनिक विवेचन, ‘साधना और सिद्धि’ आदि ग्रन्थों के लेखक के कवित्व, कृतित्व, विचारणा, चिन्तना, गवेषणात्मक बुद्धि आदि के परिचायक हैं। वेदों में विविध विद्याएं, राष्ट्रीय शिक्षा का स्वरूप, ज्ञान-विज्ञान, वेदों में लालित्य, उपनिषदों का व्यावहारिक पक्ष, शिक्षा और संस्कृति तथा संस्कृत साहित्य के भावपक्ष एवं कलापक्ष के कुशल समीक्षक गुरुदेव की सूक्ष्म दृष्टि के बोधक हैं।
ऐसे महिमामय व्यक्तित्व को मण्डित करने वाले श्लोक, लेख, संस्मरण, सन्देश तथा पर्यावरण-चेतना सम्बन्धी शोधपत्रों का सम्पादन करते हुए हमें अनेकशः इनकी मेधाशक्ति का स्वतः स्फूर्त प्रवाह अनुभूत है। वाग्देवता के वरदपुत्र के चिर आयुष्य के अभिलाषुक हम सब महाकाल से प्रार्थना करते हैं कि पद्मश्री गुरुदेव डॉ० कपिलदेव द्विवेदी शताधिक वर्षों तक भारत एवं भारती की सेवा में संलग्न रहें। किमधिकं विज्ञेषु, इत्यलम्।
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