Amarkosh (अमरकोष:)
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Author | Dr. Ajay Kumar Mani Tripathi |
Publisher | Bharatiya Vidya Sansthan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-93-81189-88-7 |
Pages | 812 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | BVS0223 |
Other | Dispatched in 3 days |
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अमरकोष: (Amarkosh) विश्व की समस्त भाषाओं में सर्वप्राचीन संस्कृत भाषा का साहित्य सर्वाधिक समृद्ध है। इसीलिए इसके कोषसाहित्य की भी एक विशाल श्रृंखला है, जिनमें अमर सिंह-प्रणीत नामलिंगानुशासन (अमरकोष) का स्थान सर्वोपरि है। इस अनुपम ग्रन्थ पर अनेकानेक संस्कृत व्याख्यायें स्वनामधन्य विद्वानों द्वारा रचित हैं, जिनमें महान् वैयाकरण भट्टोजिदीक्षित के पुत्र भानुजिदीक्षितकृत व्याख्यासुधा-नाम्नी रामाश्रमी व्याख्या सर्वप्राचीन एवं सर्वतोभावेन प्रामाणिक है। यही कारण है कि अमरकोष के प्रकृत संस्करण को उक्त संस्कृत व्याख्या से अलंकृत किया जाता है।
वर्तमान में संस्कृत ग्रंथों के विविध संस्कृत से विभूषित होने पर भी अद्यतन कालीन संस्कृतानुरागियों को ग्रन्थ के तात्पर्य से अवगत होने के लिए हिन्दी व्याख्या अपेक्षित होती हैं। यही कारण है कि प्रकृत ग्रन्थ पर भी बहुशः हिन्दी व्याख्यायें वर्तमान में उपलब्ध हैं, फिर भी वे अध्येताओं की विचिकित्सा का शमन करने में समर्थ नहीं हैं, यतः उपलब्ध समस्त हिन्दी व्याख्यायें या तो मूलानुसार पर्यायवाची शब्दों के परिगणन में असावधान दृगोचर होती है अथवा टीकागत शब्दों को भी हिन्दी व्याख्याओं में समाहित कर दिया गया है, फलतः ग्रन्थ का अर्थ त्तो स्पष्ट होता नहीं, ऊपर से पाठक अर्थावगम में ननु-न च के सागर में गोते भी लगाने लग जाता है। इन्हीं सब अद्यतन प्राप्त हिन्दी व्याख्याओं की विसंगतियों को दृष्टिगत करके प्रकृत राजराजेश्वरी हिन्दी व्याख्या से इस संस्करण को पल्लवित किया गया है। व्याख्याकार का ऐसा विश्वास है कि अमरकोष का यह संस्करण अध्येताओं एवं जिज्ञासुओं के लिए सर्वतोभावेन उपादेय सिद्ध होगा।
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