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Anusthan Prakash (अनुष्ठान प्रकाश) Code-633

510.00

Author Dr. Ashok Kumar Gaud
Publisher Rupesh Thakur Prasad Prakashan
Language Sanskrit
Edition 2014
ISBN 633-542-2392544
Pages 976
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code RTP0128
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Description

अनुष्ठान प्रकाश (Anusthan Prakash) यज्ञ अथवा अनुष्ठान वैदिक-संस्कृति का प्रधान अंग है। इनके द्वारा ही मनुष्य और समस्त संसार का कल्याण होता है। वेदों में कर्मकाण्ड भाग की ही प्रधानता है और कर्मकाण्ड भाग ही वेदों का मुख्य विषय है। यदि वेदों में से कर्मकाण्ड-भाग को निकाल दिया जाए, तो वेद निर्जीव ही हो जायेंगे। अतः कर्मकाण्ड भाग ही वेद सजीव और महत्वपूर्ण हैं। इस कर्मकाण्ड भाग में विशेषकर यज्ञों व अनुष्ठानों का ही प्राधान्य है।

अनुष्ठानम् अर्थात् अनुष्ठान- इसका अर्थ होता है कि धार्मिक तपश्चर्याओं का प्रयोग या धार्मिक संस्कारों अथवा कृत्यों का प्रयोग। इसी को ही हमारे शास्त्रकारों ने अनुष्ठान की संज्ञा से विभूषित किया है। सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी-देवताओं का समावेश है और उन सभी के अनुष्ठान समय-समय पर इस पवित्र भारतभूमि में होते रहते हैं। इसी को लक्ष्य कर मैंने इस ‘अनुष्ठानप्रकाशविधि’ की रचना की है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस ग्रन्थ का आश्रय लेकर सभी प्रकार के अनुष्ठानों को पूर्ण करवाया जा सकेगा। इतना ही नहीं, मुझे तो पूर्ण विश्वास है कि यह ग्रन्थ वैदिक, कर्मकाण्डी और वेद के जिज्ञासुओं के लिए अति महत्वपूर्ण होगा।

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