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Bharatiya Prashna Sindhu Evam Jyotish Vigyan (भारतीय प्रश्न सिन्धु एवं ज्योतिष विज्ञान)

106.00

Author Pt. Hari Krishna Tiwari
Publisher Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd.
Language Sanskrit & Hindi
Edition -
ISBN -
Pages 416
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SDPB0054
Other Dispatched in 1-3 daysBharatiya Prashna Sindhu

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Description

भारतीय प्रश्न सिन्धु एवं ज्योतिष विज्ञान (Bharatiya Prashna Sindhu Evam Jyotish Vigyan) जब ज्ञानगंगा की अजस्र पीयूष धारा धरती से आकाश तक एकाकार हो चुकी थी एवं मानव नरवदन्तोपजीवी बनकर अरण्यों में निवास करता था। ऋषि, महर्षि प्रकृति के पर्दे को खोलकर गहराइयों का मापन करते हुए आकाश पिण्डों से अपना सम्बन्ध स्थापित किये। ज्योति पिण्डों से सम्बन्धित होने के कारण इसे हम ज्योतिष विज्ञान के नाम से जानते हैं। ज्योतिष के उद्गम स्थल को हम प्रकाश सिन्धु के नाम से जानते हैं। उसी प्रकाश सिन्धु के समीप साधक बैठकर निर्णय सिन्धु, धर्म सिन्धु, सुधा सिन्धु इत्यादि इस प्रकार कई सिन्धुओं को समीप से पहुँचकर अवलोकन करने का प्रयास किया। उसी प्रयास की कड़ी में यह ‘भारतीय प्रश्न सिन्धु एवं ज्योनिष विज्ञानं इस शदी के वैज्ञानिक युग की दौर में एक महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य एवं प्रभावी शक्ति है। वैज्ञानिक युग में हर व्यक्ति के मन में सीखने की ललक एवं जिज्ञासा छिपी हुई है। भारत का विज्ञान जो आज चरमोत्कर्ष की गौरव गाथा गा रहा है। वह भारत को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को आलोकित कर रहा है। इस विज्ञान की प्रगति का आधार वेदों के नेत्र से जाना जाने वाला ज्योतिष विज्ञान है। जैसे एक कैसेट में कुछ निश्चित आवाजों एवं स्वरों का संग्रह होता है उसी प्रकार मनुष्य के कर्म एवं भाग्य के द्वारा एक निश्चित रूपरेखा का निर्माण होता है। उसी कार्य योजना के अनुसार भौतिक प्राणी संसार रूपी नाट्यशला में अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए उसकी गोद में छिप जाता है।

प्रत्येक प्राणी को समाज से सम्बन्धित विभिन्न आवश्यकताएँ होती है जैसे जन्म के बाद विवाह, दाम्पत्य जीवन, सन्तान, नौकरी, धन, अचल सम्पत्ति, शिक्षा, मुकदमा, व्यापार, राजनीति, विदेश यात्रा. वास्तुशास्त्र, मुहूर्त, अधिकारी से मिलन, आध्यात्मिक सृष्टि से भी कुछ जिज्ञासाएँ होती हैं, जैसे संसार सागर से मुक्ति, श्री रामदर्शन, श्री हनुमान जी की कृपा, शनि उपासना, देवी देवताओं की आराधना इत्यादि। इस प्रकार भौतिक एवं आध्यात्मिक जगत से सम्बन्धित समस्याओं का संकलन एवं ज्योतिष विज्ञान के माध्यम से किया गया निदान ही ‘भारतीय प्रश्न सिन्धु एवं ज्योतिष विज्ञान’ के नाम से जाना जाता है।

जिसका आधर काल्पनिक नहीं बल्कि प्रमाणित ग्रन्थों से है जैसेवाल्मीकि रामायण, वेद, पुराण, शास्त्र, श्री रामचरितमानस, भागवद्‌गीता, काल सर्प योग, प्रश्न फल निर्णय, दोहावली, वृहत्पारासर होरा, जाड़क पारिजात, नरपति जपचर्या, निर्णय सिन्धु, धर्मसिन्धु, शिवस्वरोदय, दत्तात्रये तन्त्र, शावर तन्त्र, शीघ्र बोध, बृहद् वास्तुमाला, गृहरत्न विभूषण, वृहद् ज्योतिष सार, मानसागरी इत्यादि, धृष्टतापूर्वक यह “छः हो शास्त्र सब ग्रन्थन को रस”। जातक के भाग्य एवं कर्म का निर्धारण उसके जन्म के समय ही ज्योतिषों को यह सम्यक ज्ञान हो जाता है कि उसकी शादी कब? किस दिशा में? कैसी स्त्री के साथ होगी, उसके जीवन की शिक्षा-दीक्षा, माता-पिता, बन्धु-बान्धव, पारिवारिक सुख-दुःख, नौकरी, व्यवसाय, अरिष्ट योग, विदेश यात्रा, कालसर्पयोग, धनयोग, राजयोग, सम्पूर्ण जीवन का पंचांङ्ग जन्मांङ्ग चक्र के एक से बारह भाव (ग्रह) के अन्तर्गत छिपा होता है। जैसे दूध का मंथन करने पर मक्खन प्राप्त होता है उसी प्रकार जन्मांङ्ग का मन्थन करने पर ज्योतिषि दैनिक जीवन का कालचक्र बाहर कर देता है। ज्योतिषों को विषय का सम्यक ज्ञान एवं अभ्यास के साथ साधक भी होना चाहिए।

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