Divya Sankalpa Sangrah Prakash (दिव्यसंकल्प संग्रह प्रकाश)
₹51.00
Author | Dr. Shashi Bhushan Mishr |
Publisher | Babu Thakur Prasad Bookseller |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2024 |
ISBN | - |
Pages | 68 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0151 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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दिव्यसंकल्प संग्रह प्रकाश (Divya Sankalpa Sangrah Prakash)
तदस्तु सम्पूर्णतमं प्रसादतः ।
सङ्कल्पसिकिश्च सदैव-जायताम।।
भगवत प्रसादात संकल्प से ही सभी कार्यों की सिद्धि होती है। किसी भी कर्म के पूर्व किये जाने वाले समुचित निश्चय को कार्य हम प्रदान करने की दृढ़ इच्छाशक्ति को ‘संकल्प’ शब्द से अभिहित किया जाता है। संकल्प प्रत्येक कर्म के लिए होते हैं, किन्तु प्रस्तुत ग्रन्थ में संकल्प का श्रेय कर्मकाण्डी एवं धार्मिक कृत्यों से है। प्रायः संकल्प का पूजा, पाठ, धर्म, कर्म, दान, महादान, तर्पण, श्राद्ध आदि में विशिष्ट महत्त्व है। व्यक्ति हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, दुर्वा, कुशा, फलादि लेकर संकल्प करता है कि मैं अमुक कार्य करूँगा, संकल्प के पश्चात् उसकी कार्यों के प्रति विशिष्ट जिम्मेदारी हो जाती है।
कुछ विद्वानों का मानना है कि जिस प्रकार पत्र को खुब सजाकर लिखा जाए परन्तु पता सही नहीं होने के कारण पत्र समुचित स्थान पर नहीं जा पाता उसी प्रकार अनेक पूजन किया जाए परन्तु संकल्प सही ढंग से नहीं होने पर उचित कामना पूर्ण नहीं होता। पत्र में पता और कर्मकाण्ड में संकल्प का बहुत बड़ा स्थान दिया गया है। विद्वानों का मत है कि संकल्प मात्र से पूजन की सम्पूर्णता हो जाती है। संकल्प का महत्व कर्मकाण्ड में शरीर और प्राण का सम्बन्ध जैसा है। इसी कारण सभी कार्यों में संकल्प की प्रधानता रहती है। कर्मकाण्डी ब्राह्मण देवताओं के प्रत्येक प्रकार से सुविधा को ध्यान में रखकर अनेक प्रकार के संकल्पों का संग्रह कर प्रकाशन का प्रयत्न किया जा रहा है।
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