Ekadashi Mahatmya (एकादशी माहात्म्य)
₹51.00
Author | Shri Ram Ji Sharma |
Publisher | Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd. |
Language | Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 128 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SDPB0029 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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एकादशी माहात्म्य (Ekadashi Mahatmya) जो मानव हर समय एकादशी के माहात्मय का पाठ करता है, उसे हजार गौदान के पुण्य का फल प्राप्त होता है। जो दिन या रात में भक्तिपूर्वक इस माहात्म्य का श्रवण करते हैं, वे नि:संदेह ब्रह्महत्या आदि पापों से मुक्त हो जाते हैं। एकादशी के समान पापनाशक व्रत दूसरा कोई नहीं है।
पौराणिक मान्यता है कि पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे। इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ। सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल मिलता है। जहाँ साल भर की अन्य एकादशी व्रत में आहार संयम का महत्त्व है।
इस दिन व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती है और इसके अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। मान्यता है कि जो साधक एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करते हैं, उनके सभी दुखों का अंत होता है।
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